________________
ATMA-SIDDHI
HEROICERS
CHESE
I
are of nature countary to the karma (doings) bondage, - are evidently witnessed, by the prowess of which means bondage of karmas (one's own doings) becomes loosened, subsides, or gets annihilated. Therefore these knowledge, preception, right spiritual character ect. are means for the achievement of the emancipation (or salvation) pada (step).
श्री ज्ञानीपुरुषोंद्वारा सम्यादर्शनके मुख्य निवासभूत कहे हुए इन छह पदोंको यहाँ संक्षेपमें कहा है। समीप-मुक्तिगामी जीवको स्वाभाविक विचारमें ये पद प्रामाणिक होने योग्य हैं, परम निश्चयरूप जानने योग्य हैं, उसकी आत्मामें उनका सम्पूर्णरूपसे विस्तारसहित विवेक होना योग्य है। ये छह पद संदेहरहित हैं, ऐसा परम पुरुषने निरूपण किया है। इन छह पदोंका विवेक जीवको निजस्वरूप समझने लिये कहा है। अनादि स्वप्न-दशाके कारण उत्पन्न हुए जीवके अहंभाव-ममत्वभावको दूर करनेके लिये ज्ञानी-पुरुषोंने इन छह पदोंकी देशना प्रकाशित की है। एक केवल अपना ही स्वरूप उस स्वप्नदशासे रहित है, यदि जीव ऐसा विचार करे तो वह सहजमात्रमें जागृत होकर सम्यग्दर्शनको प्राप्त हो; सम्यग्दर्शनको प्राप्त होकर निजस्वभावरूप मोक्षको प्राप्त करे। उसे किसी विनाशी, अशुद्ध और अन्यभावमें हर्ष, शोक और संयोग उत्पन्न न हो, उस विचारसे निज स्वरूपमें ही निरन्तर शुद्धता, सम्पूर्णता, अविनाशीपना, अत्यंत आनन्दपना
88888888
NCREEN
Our
wN000000
Jain Education International
300578MA n tane For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org