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ARDHA-Mágaduí READER तए से मे कुमारे पंचमुट्टियं खोयं करेइ २ त्ता जेणामेव समणे भगवं महावोरे तेणामेव उवागच्छद २ त्ता एवं वयासी, "आलित्ते ण भंते ! लोए जराए मरणेण य ॥ से जहा नामए केइ गाहावई आगारंसि झियायमाणं सि जे तत्थ भंडे भव इ अप्पभारे मोल्लगुरुए तं गहाय प्रायाए एगंतं अवकमइ, 'एस मे णिच्छारिए' समाणे पच्छा पुरा य लोए हियाए सुहाए भविस्तई', एवामेव मम वि एगे पाया भंडे. इडे कंते पिए, एस मे निच्छारिए समाणे संसारवोऽयकरे भविस्सइ, तं. इच्छामि णं देवाणुप्पिएहि सयमेव पत्वावियं', सयमेव सिक्खावियं, रुयमेव आयार-गोयर-विणय-वेण इय-चरणकरण-जायामायाउत्तियं धम्म प्राइविखयं ॥२॥
तए ण समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पवावेइ, सयमेव जाव धम्ममाइक्खइ, "एवं देवाणुप्पिया ! गंतव, एवं चिट्टियब्व, एवं निसीयवं, तयट्टियत्व, भुंजियव्वं, भासियत्व" ॥ तए ण से मेहे कुमार समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए इमं एयासवं धम्मियं उवएसं निसम्म सम्म पडिवउजइ तमाणाए तह गच्छह, तह चिट्ठइ जाव तह भासइ ॥५३॥
जं दिवस च ण मेहे कुमारे आगाराओ अणगारियं पब्वइए तस्स ण दिवसस्स पुव्वावरण्हकालसमयंसि समणाणं निग्गंथाण अहाराइणयाए सेज्जास
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