SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 26 ARDHA-MAGADHE READER: वयासी "भण जाया! किंते दलयामो किं ते पयछामो ?" तर ण मे मेहे राया अम्मापियरो एवं वयासी इच्छामि णं अम्मयाओ ! कुत्तियावणाओ रयहरण पडिग्गहं च आणियं कासवयं च सदावित्तए "॥३०॥ ___ तर ण से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सदावेइ २ त्ता एवं वयांसी "गच्छह ण तुब्भे देवाणुप्पिया ! सिरिघरानो तिण्णिसयसहस्साइं गहाय दोहि सयमहस्सेहि कुत्तियावणाी रयहरण पडिग्गहं च उवणेह, एगेण सयसहस्सेण कासवयं सदावेह" ॥ तर ण ते कोडुंबियपुरिमा तहेव बरेति ॥३॥ तर ण से कासवे सेणियं रायं करयलमंजलिं कट्टु एवं वयासो, “संदिसह ण देवाणुप्पिया जं मए करणिउजं" ॥ तए ण से सेणिए गया कासवयं एवं वयासो, "गच्छाहि ण तुमं देवाणुप्पिया ' सुरभिणा गंधोदएण निके हत्थपाए पक्खालेहि सेयाए चउप्फलाए पोत्तोए मुहं बंधित्ता मेहकुमारस्स चउरंगुलवउजे निक्खमणपाउग्गे केसे कप्पेहि ॥ तर ण से कासवे तहेव केसे कप्पइ ॥६॥ तए ण मेहकुमारस्स माया महारिहेण हंसलवखणाडसाडएण अग्गकेसे पडिच्छइ २ त्ता सुरभिणा गंधोदएण पक्खालेइ २ त्ता सरसेण गोसीसचंदणेण' चच्चाओ दलयइ सत्ता सेयाए पोत्तोए बंधेइ २त्ता रयणसमुग्गयंसि पक्खिवइ, वारिधारा-किरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy