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बाल-पंडियमरणं । अगारिसामाइयंगाई , सड्ढी कारण फासए। पोसह दुही पक्ख , एगराइं न हावए ॥२३॥ एवं सिक्खासमावन्ने , गिहवासे वि सुव्वए। मुच्चइ विपवाओ , गच्छे जक्खसलोगयं ॥२४॥ अह जे संबुडे भिक्खू , दुण्हं अन्नयरे सिया। सव्वदुक्ख पहोणे वा , देवे वावि महड्ढिए ॥२॥ उत्तराई विमोहाइं , जुइमंता णु पुत्वसो। समाइन्नाहिं जवखेहि ,आवासाइ जसंसिणो ॥२६॥ दीहाउया इढिमंता, समिद्धा कामरूविणा। अहुणोववन्नसंकासा ,भुज्जी अच्चिमालिप्पभा ॥२०॥ ताणि ठाणाणि गच्छति, सिविखत्ता संजमं तवं । भिक्खाए वा गिहत्थे वा, जे संति परिनिव्वुडा ॥८॥ तेसिं सुच्चा सपुज्जाणं, संजयाणं बुसीमओ। न संतसंति मरणते , सीलवंता बहुस्सुया ॥२९॥ तुलिया विसेसमादाय , दयाधम्मस्स खंतिए । विष्यसीएज मेहावी , तहाभूएण अप्पणा ॥३०॥ तो काले अभिप्पए, सड्ढी तालिसमंतिए । विणएज लोमहरिस, भेयं देहस्स कंखए ॥३१॥ अह कालंमि संपत्ते , आघायाय समुस्सुयं । सकामबरण मरह , तिण्हमन्नयरं मुणी ॥३२॥
( उत्तरज्झयणमुत्सस्स पंचमं अज्भायणं)
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