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________________ 35 मेहे कुमारे । मेहा! इयाणि विउलकुलसमुन्भवे लद्धापंचिंदिर एवं उट्ठाण बल-वीरिय-पुरिसक्कार-परक्कम-संजुत्ते मम अंतिए पवइए समाणे समणाणं निग्गंथाणं रामो वायणाए य पुच्छणाए जाव निगच्छमाणाणं पायसंघट्टणाणि णो सम्मं सहेसि तितिक्खसि अहियासेसि ?" ॥६॥ तए ण तस्स मेहस्स अणगारस्स समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्येहिं अज्झवसाणेहिं जाइसरणे समुप्पण्णे । तए ण से मेहे अणगारे एयमटुं सम्म अभिसमेह २ त्ता अणगारमझे चेव चिटुइ ॥ ___ तए ण समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ तए ण से मेहे अणगारे विविहेण तवोकम्मेणं अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ ___तए ण से मेहे अणगारे तेण उरालेण विपुलेणं तवोकम्मेण सुक्के भुक्खे लुक्खे निम्मंसे निस्सोणिए किडिकिडिया भूए अट्ठिचम्मावणद्वे किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था॥ नीवं जीवेणं गच्छा जीवं जीवेण विट्ठइ । भास भासित्ता गिलाई भास भासमाणे गिलाइ भासं भासिस्सामि त्ति गिलाई॥से जहा नामए इंगालसगडिया इ वा कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा ससदं गच्छइ ससदं चिट्ठइ एवामेव मेहे कुमारे ससद गच्छइ भसद्द चिट्ठइ ॥६६॥ . तेणं कालेणं तेणं समरणं समणे भगवं महावीरे रायगिहे नयरे समोसढे॥ ID Sou 2D SOTO 3 D SO FQ 4 S FETETTTTTI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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