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(भजन और प्रेरणा-गीत
प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम, श्री राम राम राम, राम राम राम, श्री राम राम राम ॥१॥
पाप कटे दुःख मिटे, लेत राम नाम भव समुद्र सुखद नाव, एक राम नाम राम राम राम, श्री राम राम राम ॥२॥
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पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो॥ वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरू,
किरपा कर अपनायो॥ जनम-जनम की पूँजी पाई,
जग में सभी खोवायो॥ खरचै न खटे, वाको चोर न लूटै,
दिन दिन बढ़त सवायो॥ सत की नाव, खेवटिया सतगुरु,
। भवसागर तर आयो॥ मीरां के प्रभु गिरिधर नागर
हरख हरख जस गायो॥
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