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Appendix II
हाथीगुम्फा लेख के संशोधित पाठ का हिन्दी रूपान्तर
__कोष्ठक ( ) में पूरक शब्द हैं और
[ ] में संभावित पाठों के अर्थ हैं।
"अरहंतों को नमस्कार हो।
सब सिद्धों को नमस्कार हो । कलिंग के अधिपति, चेति राजवंश की कीर्ति को बढ़ाने वाले, प्रशस्त शुभ लक्षणों से भूषित और चारों दिगन्तों में विख्यात गुणों से अलंकृत आर्य महाराज महामेघवाहन श्री खारवेल द्वारा पन्द्रह वर्ष तक, जबकि उनका शरीर सुन्दर और कडार वर्ण का था, राजकुमारों के उपयुक्त क्रीड़ायें की गई ।
तत्पश्चात् राजकीय लेख पद्धति, मुद्रा शास्त्र, लेखा शास्त्र, प्रशासकीय नियमों और अधिनियमों में निष्णात होकर और विद्या के सभी अंगों का ज्ञान प्राप्त करके उनके द्वारा नौ वर्ष तक युवराज के पद से शासन किया गया।
तब चौबीस वर्ष की अवस्था पूर्ण करने पर कलिंग के राजवंश की तीसरी पीढ़ी में, वह अपना महाराज्याभिषेक कराते हैं ताकि अपने शेष यौवन को विजयों द्वारा समृद्ध कर सकें।
और राज्याभिषेक होने के बाद प्रथम वर्ष में पैंतीस लाख (मुद्रा) व्यय करके वह कलिंग की राजधानी में तूफान से क्षतिग्रस्त गोपुरों, प्राकारों और निवासों की मरम्मत कराते हैं, शीतल तड़ाग के बाँध को सुद्दढ़ कराते हैं और सब ही उद्यानों का प्रति-संस्थापन कराते हैं, और प्रजा का रंजन करते हैं।
और द्वितीय वर्ष में शातकर्णि की चिन्ता न करके वह अश्वारोही, हाथी, पदाति और रथ से समन्वित विपुल सैन्य पश्चिम दिशा में पठाते हैं और सेना के कृष्णवेणा नदी पर पहुँच जाने पर असिकों की राजधानी को त्रस्त करते हैं।
फिर तृतीय वर्ष में गंधर्व विद्या में प्रबुद्ध वह लोक-नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, सुगम संगीत और वाद्य संगीत के कार्यक्रम कराके और विविध उत्सव और मेले कराके नगरवासियों का मनोविनोद करते हैं।
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