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________________ जैन-विद्याओं में शोध (1983-1993) : एक सर्वेक्षण : (281) 1983-93 01. 102 175 275 27 48 फाउण्डेशन, अमरीका, डी-मोन्टफोर्ट एवं लन्दन के जैन विद्या विभाग, हालैण्ड का इन्टर-कल्चरल. विश्वविद्यालय, जैन विश्वभारती (मान्य विश्वविद्यालय), लाडनूं, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, कैलाश सागर ज्ञान मंदिर, अहमदाबाद एवं बी. एल. इन्स्टीट्यूट, दिल्ली आदि समाहित हैं। लन्दन के डॉ. नटूभाई शाह, बेलजियम, हॉलैण्ड एवं ब्रिटेन के कुछ विश्वविद्यालयों में जैन विद्या अध्ययन को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने स्वयं भी जैन विद्या में पी-एच.डी. की है। कनाडा के डॉ. कुमार भी अपनी 'जिनमंजरी' पत्रिका एवं व्याख्यानमालाओं के माध्यम से इस ओर प्रेरणा दे रहे हैं। इन सब प्रयासों से जैन विद्या के विविध पक्षों में शोध का विस्तार हो रहा है और इसका भविष्य और भी उज्ज्वल है। उदाहरणार्थ, जैन समाज का मानव शास्त्रीय अध्ययन होने लगा है (विशेषकर विदेशों में) और अर्थशास्त्र, राजनीति तथा समाजशास्त्र आदि के समान विषयों से सम्बन्धित जैन सामग्री भी समालोचनात्मक रूप में सामने आ रही है। सारणी 2 जैन विद्याओ में शोध : विषयवार शोध संख्या क्रमांक विषय 1973 1983 साहित्य (ललित) व्यक्तित्व/कृतित्व 03. न्याय/ दर्शन भाषा (प्रा./अप./विज्ञान) आगम नीति/आचार/धर्म कला/पुरातत्त्व आधुनिक विषय अ. इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र ब. समाजशास्त्र स. भूगोल द. मनोविज्ञान य. शिक्षा तुलनात्मक अध्ययन 10. विज्ञान 11. विविध 204429 780 जैन शोध की परिमाणात्मक स्थिति को जानकर अब हम उस पर किंचित् विश्लेषणात्मक रूप से विचार करें। इसके लिये हमें विविध विषयों पर की जाने वाली शोध को आनुपातिक रूप में परखना होगा। यह विवरण सारणी 2 में दिया गया है। इसके आधार पर हमने सारणी 3 भी प्रस्तुत की है। इससे स्पष्ट होता है कि पिछले दो दशकों में ललित साहित्य, व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा अन्य भाषागत साहित्य पर शोध का संयुक्त प्रतिशत 56.50 04 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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