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दूषन अठारह माहि बदलै कहै और सवारिकै !
जिनिम (?) तै बानतै (?)
अनमिल बखानहि और मानहि कलपना सरधानतै । ७७ ।।
चौतीस अतिसय बदल केई गहहि और विचारिकै ॥ |
विनासी सौं (?) लरहि मुनि दोष रंच न
अनमिल बखानहि और मानहि कलपना सरधानतै ।।७८ ।।
सोधरम सुरपति जीतने को चमर विंतरपति गयौ ।
तसु वज्रदण्ड विलास पंडित कहिहि वर सरनि भयौ । ।
कर पूषत (?) मरि गयै न खिरै युगल तनु परवान है । अनमिल बखानहि और मानहि कलपना सरधान है । । ७६ ।।
निरबान होत जिनेस काया खिरै दामिनी बत ही
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वर नारि दे थिर करै श्रावक देखि कामी मुनि कही ।।
केवली तनु तै जीवबध है कहै मत मदपान तै ।
अनमिल बखानहि और मानहि कलपना सरधान है | |८०||
सुर मिले जिन दाढ़ पूजहि इंद्र जिन जब सिव गयै । जिन वीर मेरू अचल चलयौं जनम कल्यानक समै ||
जिन जनम सूचक सुपन चौदह और नहीं मन आनतैं । अनमिल बखानहि और मानै कलपना सरधान है । । ८१ ।।
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