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चौपइकहै जुगलीया कोउ मुंवौ
___ ताकी तियन रंडापौ हुवौ । सोई रिषभदेव घरि आनी
भई सुनंदा दूजी रानी।।३७ ।।
सोरठाकरै न निंदित काज, जो समानिक होइ जन।
क्यों करि श्री जिनराज, करै अकारज
विधिकरन ||३८।। कहै कोउ कहै कोउ रिषभ थौ विप्र तिसूं
देवानन्द तिय ता गर्भि जिन वीर
उतर्यो। दिन असी तिनिल (?) बस्यौ तिहां तब इंद्र सम?
हीन जाति दुज कुल विषै महापुरूष
अवतार जोगि नांहि तातें करौं और गरभ संचार ।।३६ ।।
सौरठाकीयौ इन्द्र आदेस हिरनगवेषी देवको।
कीधौ तास परवेस त्रिसलाके तिनि गर्भ में ।।४।।
चौपइपहिलै गर्भ क्यौं न हरि लीनौ
आसी दिन बीतै क्यौं कीनौ । पहिलै कहा जानै हो नाही
कहा विचारि धारि मनमांहीं ।।४१।।
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