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________________ दीपिका-नियुक्ति टीका अ.६ २.६ जी. कर्म. समानव विशेषाधिकोवेति ५५ योग ५ प्राणातिपात ६ मृषावादा ७ ऽदचादान ८ मैथुन ९ परिग्रह १० श्रीव चक्षु. ओण रसन स्पर्शनरूप पश्चन्द्रिय १५ मनोवाकाया ऽशुमव्यापाराणि १८ भाण्डोकरणानामयतनया निक्षेपणं ग्रहणं च १९ सूचीकुशाग्रमात्रस्याऽप्ययतनया निक्षेपण ग्रहणं चेति सामान्यतया विशतिर्भदा भवन्ति । तथा पूर्वोक्तेषु द्विचत्वारिंशदाता मेदेषु पञ्चदशयोगानां संमेलनेन सप्त पञ्चाशदप्यास्त्रयाः भवन्तीति बृहद्विवेकः॥५॥ मूलम्-तिव्व मंदादि भाव विरियाहिगरणविसेसेहितो आसवबिसेसो ॥६॥ छाया- 'तीव्र-मन्दादि भाववीर्याऽधिकरण विशेषेभ्यः आस्रवविशेषः।६। तत्वार्थदीपिका-अथ-कर्मबन्ध हेतुभूताऽस्रवं प्रति कायादि योगत्रयादेः कारणयोग (६) प्राणातिपात (७) मृषावाद (८) अदत्तादान (९) मैथुन (१०) परिग्रह (११) श्रोत्रेन्द्रिय (१२) चक्षुइन्द्रिय (१३) घ्राणेन्द्रिय (१४) रसनेन्द्रिय (१५) स्पर्शनेन्द्रिय (१६) मनोयोग (१७) वचनयोग (१८) काययोग (१९) भाण्डोपकरण का अयतना से निक्षेपण या ग्रहण करना और (२०) सूची-कुशाग्रका भी अयतना से निक्षेपण ग्रहण, यह बीस प्रकार का आस्रव कहा गया है । तथा पहले कहे गये आस्रव के बयालीस भेदों में पन्द्रह प्रकार के योगों को मिलाने से आस्रव के सत्तावन भेद भी होते हैं। यह आस्रव संबन्धी विस्तार समझना चाहिए ॥५॥ तिव्व मंदादिभाव' इत्यादि। सूत्रार्थ-तीव्रभाव, मंदभाव आदि वीर्य और अधिकरण की विशेषता के कारण आस्रव में भी विशेषता हो जाती है ॥६॥ तत्वार्थदीपिका-काययोग आदि आस्रव के कारण सभी जीवों में यो। (5) प्रातिपात (७) भूषापा (८) मत्तान (E) भैथुन (१०) परियड (११) श्रीन्द्रिय (१२) यक्षुधन्द्रय (13) धावन्द्रिय (१४) २सन्द्रिय (१५) २५शन्द्रिय (१६) मनाया। (१७) पयनयोग (१८) अययोn (16) लाएडी. પકરણનું અયત્નાથી નિક્ષેપણુ અથવા ગ્રહણ કરવું અને (૨૦) સુચીકુશાગ્રનું પણુ અયતનાથી નિક્ષેપણુ-ગ્રહણ, આ વીસ પ્રકારના આસ્રવ કહેવામાં આવ્યા છે. તથા અગાઉ કહેવામાં આવેલા આસ્રવના બેંતાલીસ ભેદમાં પંદર પ્રકારના મેંગેને ઉમેરવાથી આશ્વવના સત્તાવન ભેદ પણ થાય છે. આ આસવ સંબંધી વિસ્તાર સમાજ જોઈએ. આપા 'तिव्व मंदादिभाव' त्यादि સૂવાથં–તીવ્રભાવ, મદભાવ, વિર્ય અને અધિકરણની વિશેષતાના श्री तत्वार्थ सूत्र : २
SR No.006386
Book TitleTattvartha Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages894
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size49 MB
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