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________________ ७२ उत्तराध्ययनसूत्रे मूलम्कंपिल्ले संभूओ, चित्तो पुण जाओ पुरिमतालेम्मि । सिटिकुलम्मि विसाले, धम्मं सोऊँण पव्वईओ ॥२॥ छाया-काम्पिल्ये संभूतश्चित्रः पुनर्जातः पुरिमताले । श्रेष्ठिकुले विशाले, धर्म श्रुत्वा प्रबजितः ॥२॥ टीका-'कंपिल्ले' इत्यादि काम्पिल्यनामके नगरे ब्रह्मराजचुलन्योः पुत्रत्वेन ब्रह्मदत्तेति नाम्ना संभूतः संभूतजीवः समुत्पन्नः, चित्र:=चित्र जीवः पुरिमताले नगरे विशाले=बहुधन बहुपरिवारयुक्त्ते धनसारश्रेष्ठिकुले गुणसार इति नाम्ना जातः समुत्पन्नः। पुनर्जिनमार्गानुसारिणः सुभद्राचार्यस्य सविधे धर्म-श्रुत्रचारित्रलक्षणं श्रुत्वा प्रवजितः प्रबन्यामग्रहीत् ॥ २॥ वहांसे चव कर ब्रह्मराज की रानी चुलनी की कुक्षिसे ब्रह्मदत्त नामक पुत्र उत्पन्न हुए ॥१॥ यही कथाका सार इस सूत्रमें सूत्रकार प्रकट करते है 'कंपिल्ले'इत्यादि। अन्वयार्थ (कंपिल्ले-काम्पिल्ये ) काम्पिल्य नामके नगरमें (संभूओसंभूतः) संभूत का जीव ब्रह्मराज और चुलनी के संबंधसे ब्रह्मदत्त इस नाम से प्रसिद्ध पुत्र उत्पन्न हुआ तथा (चित्तो-चित्रः) चित्र का जाव प्रथम देवलोक नलिनीगुल्म के विमानसे चव कर (पुरिम तालाम्मि-पुरिमतालनगरे ) पुरिमताल नामक नगर में (विसाले सिडिकुलम्मि-विशाले श्रेष्ठिकुले) बहुधन एवं परिवार संपन्न होने से विशाल ऐसे धनसार श्रेष्ठि के कुल में गुणसार नामक पुत्ररूप से (जाओ. जातः) उत्पन्न हुआ और (धर्म सोउण-धर्म श्रुत्वा) जिनमार्गानुसारी વીને બ્રહ્મરાજાની રાણી ચુલનીની કૂખે બ્રહ્મદત્ત નામના પુત્રરૂપે ઉત્પન્ન થયા.ના ॥ थान सार २॥ सूत्रमा सूत्रा२ प्रगट ४२ छ-“ कंपिल्ले "-त्याहि. अन्वयार्थ-कांपिल्ले-कांपिल्ये भियस्य नामना नगरभां संभूओ-संभूतः સંભૂતને જીવ બ્રહ્મરાજા અને રાણી ચુલનીના સંબંધથી બ્રહ્મદત્ત નામે પ્રસિદ્ધ पुत्र ५ थयो. मन चित्तो-चित्रः त्रिन ०१ पुरिमतालम्मि-पुरिमतालनगरे पुरिमतारा नाम विसाले सिद्विकुलम्मि-विशाले श्रेष्ठिकुले महुधन मने परिवार સંપન્ન હોવાથી વિશાળ એવા ધનસાર શેઠના કુળમાં ગુણસાર નામે પુત્રરૂપે जाओ-जातः उत्पन्न थयो. अने. धम्मं सोउण-धर्म श्रुत्वा नभागानुसारी शुभद्र ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૨
SR No.006370
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages901
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size49 MB
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