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________________ ७४२ ज्ञाताधर्मकथाऽसूत्रे नैरयिकतया उपपन्नः। एतद् दृष्टान्तेन भगवान महावीरः साधूनुपदिशति-एवमेय =अने नैवप्रकारेण हे आयुष्मन्तः ! श्रमणाः यः कश्चिदस्माकं श्रमणो वा श्रमणी वा आचार्योपाध्यायानामन्तिके यात्मवजितः सन् पुनरपि मानुष्यकान् कामभोगान् 'आसाएइ ' आस्वादयति । स 'जाव अणुपरियट्टिस्सइ' यावदनुपर्यटिष्यतियायत्-चातुरन्तसंसारकान्तारं परिभ्रमिष्यति । ' जहेब से कंडरीए राया' यथैव स कण्डरीको राजा ॥ सू०६ ।। ___ मूलम्-तएणं से पोंडराए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता थेराणं अंतिए दोच्चंपि चाउज्जामं धम्म पडिवज्जइ, छट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, करित्ता जाव अडमाणे सीयलक्खं पाणभोयणं पडि गाहेइ, पडिगाहित्ता, अहापज्जत्तमिति कह पडिणियत्तइ, गर की जहां उत्कृष्ट स्थिति है-नारकी की पर्याय से उत्पन्न हो गये इसी बात को दृष्टान्त से श्री भगवान महावीर प्रभु साधुओं को सम झाते है-(एचामेव समणाउसो! जाय पच्चइए समाणे पुणरवि माणु स्सए कामभोगे आसाए जाच अणुपरियटिस्सइ, जहा व से कंडरी गया) इसी तरह हे आयुष्मंत श्रमणों! जो कोई हमारा श्रमण अथवा श्रमणीजन आचार्य उपाध्याय के पास में दीक्षित होकर के पुनः मनुष्य भव संबन्धी कामभोगों को भोगता है वह कंडरीक राजा की तरह यायत इस चतुर्गति रूप संसार कान्तार में परिभ्रमण कयेगा ॥सूत्र६॥ સ્થિતિ પ્રમાણ છે–એટલે કે ૩૩ સાગરની જ્યાં ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ છે-નારકીની પર્યાયથી જન્મ પામ્યા. એ જ વાતને શ્રી ભગવાન મહાવીર પ્રભુ દષ્ટાંત રૂપમાં સાધુઓને સમજાવે છે કે – ___ एवामेव समणाउसो! जाव पव्वईए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे आसाए जाय अणुपरियट्टिस्सइ, जहा व से डरीए राया ) આ પ્રમાણે હે આયુષ્ય ત શ્રમણ ! જે કોઈ અમારા શ્રમણ અથવા શ્રમણીજન આચાર્ય કે ઉપાધ્યાયની પાસે દીક્ષિત થઈને ફરી જે તે મનુષ્ય ભવના કામોને ભેગવે છે, તે કડરીક રાજાની જેમ કાવત્ આ ચતુતિ રૂપ સંસાર કાંતારમાં પરિભ્રમણ કરશે. એ સૂત્ર ૬ . श्री शतधर्म अथांग सूत्र :03
SR No.006334
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages867
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size50 MB
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