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___ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे त्वाद् उपवेशनाशौ अस्थिजनिता या किटिकिटिका-शब्दविशेषः तां भूतःपाप्तः स तथोक्तः, उपवेशनादौ शुष्कास्थिजनितकिटिकिटिकाशब्दवान् इत्यर्थः। 'अद्विचम्मावणध्दे' अस्थिचविनद्धः मांसशोणित शुष्कत्वात् केवलमस्थिचर्मवान् इत्यर्थः। 'किसे' कृशः दुर्बलः, 'धमणिसंतए' धमनिसंततः व्यक्त नाडीकः मांसक्षयेण दृश्यमान नाडीकत्वात्, 'जाए यावि होत्था' जातश्चाप्यभवत् 'जीवं जीवेण गच्छइ' जीवं जीवेन गच्छति-आत्मबलेन गच्छति न तु शरीरबलेन, एवं आत्मबलेन तिष्ठति 'भासं भासिता गिलायइ' भाषा भाषित्वा ग्लायति=भाषणानन्तरं ग्लानिमामोति, 'भासं भासमाणे गिलायइ' भाषा भाषमाणः सनग्ला यति-भाषणसमये ग्लानो भवति, तथा-'भासं भासिस्साहो गये, शरीर में रुक्षता दिखलाई देने लगी। मांस के उपचय (वृद्धि) से हीन हो गये, खून वर्धक आहार आदि के अभाव से खून से रहित हो गये उठते बैठते उनकी हड्डियों से मांस रहित होने के कारण किटिकिटिका शब्द होने लगा, केबल हड्डी और चमडा ही उनके शरीर में अवशिष्ट रहा कि जिस से वे बहुत अधिक दुबल हो गये, (धमणिसंतए जाए याविहोत्था) नाडियां उनके शरीर में स्पष्ट दिखलाई देने लगी। इस तरह की उनकी स्थिति हो गई। (जीवं जीवेण गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ भासं भासित्तागिलायइ) वे चलते तो शरीर के बल पर नही आत्मा के बल पर ही चलते बैठते तो आत्मा के बलसे ही बैठते, शारीरिक बल से नहीं । बोलने के बाद उन्हे थकावट ज्ञात होने लगती। (भासंभासमाणे गिलायइ, भासं भासिस्समित्तिगिलायइ) बोलते समय भी वे ग्लान होने लग जाते। मैं बोलूगा इस विचार से भी उन्हें कष्ट का अनुभव होने लगता। मतलब માંસના ઉપચય (વન) થી તેઓ રહિત થઈ ગયા, ઉઠતાં બેસતાં માંસ સૂકાઈ જવાથી તેમનાં હાડકાંમાંથી કડકડ શબ્દ થવા લાગ્યા, ફકત હાડકાં અને ચામડી જ तमना शरी२ २01यां, मने तेसो मत्यन्त दुमणा 25 गया. (धमणि संतए जाए यावि होत्था) तेमना शनी नसे२५ट शत भावादी. मेधाभा२नी भावी स्थिति 5 ती. जीवं जीवेणं गच्छइ, जीव जीवेणं चिटइ भासं भासित्ता गिलायइ) तेथे यासता तो मात्भाना मणे, शरीर पणे नहि. तेमा मेसता તે આત્માના બળે જ, શરીરના બળે નહિ. બેલ્યા પછી તેઓ થાક અનુભવતા હતા. (भासं भासमाणे गिलायइ भासं भासिस्समित्ति गिलायइ) मादसवाना समये ५ તેઓ ગ્લાન થવા લાગતા. “હું બેલીશ” આમ જ્યારે તેમના મનમાં બેસતા પહેલાં વિચાર ઉદ્ભવતે ત્યારે તેમને કષ્ટ થવા માંડતું કહેવાનો મતલબ એ છે કે મેઘકુમાર
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧