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झाताधर्मकथासूत्रे त्तसित्तमुचियसंमजिओवलितं जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टीभूयं अव लोएमाणीओ नागरजणेणंअभिणंदिजमाणीओ गुच्छलयारुक्खगुम्मवल्लिगुच्छओच्छाइयं सुरम्मं वेभारगिरिकडगपायमूलं सव्वओ समंता आहिडेमाणीओ२ दोहलं विणियंति तं जइणं अहमवि मेहेसु अब्भु वगएम जाव दोहलंविणिज्जामि ॥१२॥सू०॥
टीका-'तएणं तीसे' इत्यादि। ततः खलु तदनन्तरं गर्भधारणानन्तरं तस्या धारिण्या देव्या द्वयोर्मासयोर्व्यतिक्रान्तयोः तृतीये मासे वर्तमाने तस्य गर्भस्य दोहदकालसमये, 'अयमेयारूवे' अममेतद्रपः वक्ष्यमाणलक्षणः 'दोहले दोहदः पाउन्भवित्था' प्रादुरभूत, दोहदस्वरूपमाह-'धन्नाओ णं' इत्यादि, 'धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ' धन्याः खलु ता अम्बा, ताः वक्ष्यमाणस्वरूपाः अम्बा:-मातरः धन्याः=धन्यवादयोग्याः ‘स पुन्नाशो गं ताओ अम्मयाओ' सपुण्याः खलु ता अम्बा, खलु इति निश्चयेन ता अम्बा-मातरः स पुण्या:=पुण्येन युक्ताः, 'कयत्था णं ता' कृतार्थाः खलु ताः, कृतः अर्थः=
तएणं तीसे धारिणीए देवीए इत्यादि ।।सूत्र॥१२॥
टीकार्थ-(तएणं) गर्भ धारण करने के बाद जब (तीसे धारिणीएवीए) उस धारिणीदेवी के दोसु मासेमु) दो मास (बइक्कतेमु) व्यतीत हो चुके और (तइए मासे वट्टमाणे) तीसरा मास लग चुका-तब (तस्स गब्भस्स दोह. लकाल समयंसि) उस गर्भ के दोहद काल के समय में (अयमे यारूवे) वक्ष्य माणरूप से उसे इस प्रकार का (दोहले) दोहला (पाउब्भवित्था) उत्पन्न हुआ-(धन्नाओणं ताओ) वे माताएँ धन्य हैं धन्यवाद की पात्र हैं(सपुन्नाओणं ताओ अम्मयात्रओ) वे माताएँ कृत पुण्य हैं-पुण्य युक्त हैं(कयत्थाणंताओ) वे कृतार्थ हैं-जन्मान्तर में अष्ट सिद्धिरूप प्रयोजन उन्हीं
तएणं तीसे धारिणीए देवीए इत्यादि ॥सत्र “१२॥
2010-(तएण) गल पा२४ पछी न्यारे (तीसे धारिणीए देवीए) धा२७वाने (दोसु मासेस) में महीना (बीइक्कतेमु) ५सा२ थया. अने. (तइए मासे चट्टमाणे) तीन महीना ही त्यारे तस्स गब्भम्म दोहलकालसमयंसि) ते गमन होड ४५ मते (अयसेयारूवे) वक्ष्यमाए ३५मा मेट 1148डीशु ते भु४५ तेने २L तनु (दोहले) ४ (पाउभविन्या) यु. (धन्नाश्रो. णं नामो अम्मयात्रो) ते भातासाने धन्य छे. (सपुन्नाओणं ताओ अम्मयाओ) ते भाताच्या पुण्यातीछे-पुण्य युधत छ (कयन्थाणं ताओ) कृतार्थ छ, २मा
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧