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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०३० उ.१ १०१ जीवानां कर्मबन्धकारणनिरूपणम् ५९ कवादिनो वैनयिकवादिनो चेति समुच्चतो जीवमधिकृ य प्रश्नः, भगवानाह'गोयमा' इत्यादि । गोयमा' हे गौतम ! 'जीवा किरियावाई वि' जीवा सामान्यतः क्रियावादिनोऽपि भवन्ति तथा-'अकिरियावाई त्रि' अक्रियावादिनोऽपि भवन्ति तथा-'अन्नाणियवाई वि' अज्ञानिकवादिनोऽपि भवन्ति तथा-'वेणइयवाई वि वैनयिकवादिनोऽपि भवन्तीत्युत्तरम् । सामान्यतो जीवाश्चतुर्विधा अपि भवन्ति ताश स्वमावस्यादिति । जीवविशेषमधिकृत्य प्रश्नयन्नाह-'सलेस्सा गं' इत्यादि । 'सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं किरियावाई पुच्छा' सलेश्याः-कृष्णनीलाधन्यतमलेश्यावन्तो जीवा किं क्रियावादिनो भवन्ति अथवा अक्रियावादिनो भवन्ति अथवा अज्ञानिकवादिनो भवन्ति, अथवा वैनयिकवादिनो भवन्तीति प्रश्नः पृच्छया वेणइयवादी' हे भदन्त ! जीव क्या क्रियावादी हैं ? या अक्रियावादी है ? या अज्ञानवादी है ? या विनयवादी है ? ऐसा यह प्रश्न सामान्य जीव को लेकर किया गया है, इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! जीवा किरियावाई विहे गौतम ! जीव सामान्यतः क्रियावादी भी होते हैं। तथा 'अकिरियावाई वि' अक्रियावादी भी होते हैं 'अन्नोणि. यवाई वि' अज्ञानवादी भी होते हैं। 'वेणझ्यवाई वि' और वैनयिकवादी भी होते हैं। तात्पर्य कहने का यही है कि सामान्य से जीव चारों प्रकार के भी होते हैं। क्योंकि जीव का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है। जीव विशेष को लेकर प्रश्न-'सलेस्साणं भंते ! जीवा किं किरिया. वाई पुच्छा' हे भदन्त ! कृष्ण, नील आदि लेश्याओं में से कोई एक लेश्या वाले जीव क्या क्रियावादी होते हैं ? या अक्रियावादी होते हैं ? या अज्ञानवादी होते हैं ? या वैनयिकवादी होते हैं ? उत्तर હે ભગવન જીવ શું કિયાવાદી છે? અથવા અક્રિયાવાદી છે? અથવા અજ્ઞાનવાદી છે? અથવા વિનયવાદી છે? આ પ્રમાણેનો પ્રશ્ન સામાન્ય જીવને આશ્રય કરીને પૂછવામાં આવેલ છે. આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમસ્વામીને કહે
-गोयमा! जीवा किरियावाइत्ति'३ गौतम! । सामान्यत: डियापही ५६ डाय छे. 'अकिरियावाई वि' मठियावाही ५४ डाय छे. तथा-'अन्नाणियवाइ वि' अज्ञान वाही ५५ उय छे. 'वेणइयवाईवि' भने वैनयिवाही पाय छे. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે–સામાન્યથી છ ચારે પ્રકારના પણ હોય છે. કેમ કે ઇવનો સ્વભાવ જ કંઈક એવું હોય છે. હવે જીવ વિશેષના સંબંयमा गीतमस्वामी प्रभुश्री२ ५छे छ-'सलेस्ताणं भंते ! जीवा कि किरियावाई gછા? હે ભગવન કશુનીલ વિગેરે લેશ્યાઓ પૈકી કોઈ એક લેશ્યાવાળા જીવ શું ક્રિયાવાદી હોય છે ? અથવા આક્રિયાવાદી હોય છે? અથવા અજ્ઞાન
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭