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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ६ ४० ३ महाकाल्पकर्म निरूपणम् ११ पुरुषादिर्वा कर्मबध्नाति ? इत्यादिविचारः ५ ' संजय ' संयतः ' का संयतादिः ? इत्यादिनिरूपणम् ६ 'सम्मविट्ठी' 'सम्यग्दृष्टिः ' कः सम्यग्दृष्टयादिः ? इत्यादिनिरूपणम् ७। एवं 'सनी' इत्यादि । 'संज्ञी, भव्यः, दर्शनी, पर्याप्तकः, भाषकः, परीतः, ज्ञानी योगी, उपयोगी, आहारकः, सूक्ष्मः, चरमः ' एतान् समाश्रित्य 'बन्धश्च' बन्धविषयकं निरूपणम् ८, 'अप्पबहुँ' ' अल्पबहुत्वम् । एतेषामेव उपर्युक्तानां स्त्रीप्रभृतीनां कर्मवन्धकानां परस्परम् अल्प-बहुत्वविवेचनं प्रतिपादितम् ॥ २ ॥ महाकर्मा-ल्पकर्मवक्तव्यता । महाकल्पिकर्मादीनां जीवानां दुःखसुखादिबन्धतारतम्यं वस्त्रदृष्टान्तेन है कि क्या स्त्री अथवा पुरुष आदि जीव कर्म का बंध करते हैं ? इत्यादि (संजय) पद से संयत आदि कोन हैं ? इत्यादि विचार प्रकट किया गया है। (सम्मट्टिी) पद यह प्रकट करता है कि सम्यग्दृष्टि आदिकौन हैं ? (सन्नी) संज्ञी-(भविए) भव्य (दसण) दर्शनी, (पज्जत्त) पर्याप्तक (भासय) भाषय (परित्ते) परीत, (नाण) ज्ञानी, (जोगे) योगी, (उवओगाऽऽहारग) उपयोगी, आहारक, (सुहुम, चरिम) सूक्ष्म, चरम ये सब पद यह बतलाते हैं कि इनको अश्रित करके (बंधेय) बन्धवि. षयक निरूपण हुआ है (अप्पबहुं) यह पद यह कहता है कि इन्हीं उपर्युक्त स्त्री आदि कर्मबन्ध जीवों का परस्पर में अल्प बहुत्व का विचार किया गया है। પુરુષ આદિ જીવો કર્મને બંધ કરે છે? ઈત્યાદિ. " संजय " 20 ५४थी सयत मानुि नि३५४ ४२पामा मा०यु छे. " सम्मट्ठिी" मा ५६ मे प्र४८ ४२ छ सभ्यष्टि मा छ ? " सन्नी " सी, “ भविए " भव्य, “दसण" दृशनी, “ पज्जत" पर्यात, “ भासय" साष, “परित्ते" " नाण" ज्ञानी, “ जोगे" योगी, " उवओगाऽऽहारग" Gपयोगी, मा२४, “ सुहम, चरिम" सूक्ष्म, यम मा मयां पह। ये मताव छ त मधान अनुसक्षीन "बंधेय " विषय નિરૂપણ આ ઉદ્દેશકમાં કરાયું છે. " अप्पबहुं " ॥ ५४ से ट ४२ छ है । देशमा श्री साह કર્મબંધક જીવોમાં કેણ વધારે છે અને કણ અલ્પ પ્રમાણમાં છે. આ રીતે તેમના અ૫મહત્વનું આ ઉદ્દેશકમાં પ્રતિપાદન કરાયું છે. श्री. भगवती सूत्र:४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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