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________________ ॥ षष्ठं शतकम् ॥ ॥ षष्ठशतके प्रथमोद्देशकस्य संक्षिप्तविषयविवरणम् ॥ मयमं षष्ठशतकस्थसर्वोदेशकार्थसंग्रहाय गाथायाः प्रतिपादनम् वेदना १ अहार २ महावस्रव ३ संपदेश ४ तमस्काय ५ भव्य ६ शालि पृथिवीकर्मा ९-न्यतीथिका १० एते विषयाप्रतिपादिता सन्ति । अथ प्रथमोद्देशकार्थ माह-महावेदनावन्तो महानिर्जरावन्तो भवन्ति, महानिजरावन्तो महावेदनावन्तो भवन्ति ? इति प्रश्नोत्तरम् । छहाशतक के पहला उद्देशा का प्रारंभ इस छठे शतक के प्रथम उद्देशक में जो विषय प्रतिपादित किया गया है-उसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है-सब से पहिले इसमें (वेयण-आहार) यह गाथा कही गई है-इसमें वेदना (१) आहार (२) महास्रव (३) सप्रदेश (४) तमस्काय (५) भव्य (६) शालि (७) पृ. थिवी (८) कर्म (९) अन्यतीर्थिक (१०) ये विषय जो कि दश उद्देशकों में प्रतिपादित किये गये हैं उनका संग्रह किया गया है (वेदना) यह प्रथम शब्द है इसका अर्थ ऐसा है-कि जो महावेदना वाले होते हैं वे महानिर्जरा वाले होते हैं या नहीं होते हैं-तथा जो महानिर्जरा वाले होते हैं वे महावेदनावाले होते हैं, या नहीं होते हैं ऐसा प्रश्न-और फिर છઠ્ઠા શતકનો પ્રારંભ શતક-૬ ઉદ્દેશક-૧ છઠ્ઠા શતકના ઉદ્દેશકમાં જે વિષયનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે, तेनु सक्षित वन नीय प्रमाणे छे-सोथी ५७सा तभi " वेयण-आहार" આદિ ગાથા કહી છે. આ ગાથામાં દસ ઉદ્દેશાઓમાં જે દસ વિષયનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે, તે વિષયે કહ્યા છે. તે દસ વિષયે નીચે પ્રમાણે છે. (१) वहना, (२) मा.२, (3) महाप, (४) सप्रदेश, (५) तमय, (6) भव्य, (७) Auति, (८) पृथ्वी, () ॐ भने (10) अन्यतीर्थ. "वेदना उद्देशक" नामना ५७ देशमा सेवा प्रश्न ५७यो “જેએ મહાદાવાળા હોય છે, તેઓ શું મહાનિ જેરાવાળા હોય છે કે નથી હોતા ? તથા જેઓ મહાનિર્જરાવાળા હોય છે, તેઓ મહાદનાવાળા હિોય છે કે નથી હોતા ? આ પ્રશ્નનો ઉત્તર આપે છે તથા એવું પ્રતિપાદન श्री भगवती सूत्र : ४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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