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प्रमेयचन्द्रिका टी०।०५ उ०७ सू०४ परमाणुपुन्नलादीनां स्पर्शनानिरूपणम् ४८३ देशं स्पृशति १, देशेन देशान् स्पृशति २, देशेन सर्व स्पृशति ३, देशैः देशं स्पृश ति ४, देशैः देशान् स्पृशति ५, देशैः सर्व स्पृशति ६, सर्वेण देशं स्पृशति ७, सर्वेण देशान् स्पृशति८,सर्वेण सर्व स्पृशति९,? गौतम ! नो देशेन देशं स्पृशति१, नो देशेन देशात् स्पृशति २, नो देशेन सर्व स्पृशति ३, नो देशैः देशं स्पृशति ४, ( परमाणु पोग्गलं ) जो दूसरे परमाणुपुद्गल की ( फुसमाणे ) स्पर्शना करता है सो (किं) क्या ( देसेणं देसं फुसइ ) अपने एक देश से उसके एक देश का स्पर्श करता है ? (देसेणं देसे फुसइ ) अथवा अपने एक देश से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? या ( देसेणं सव्वं फुसइ ) अपने एक देश से उसका पूरा स्पर्श करता है ? ( देसेहिं देसं फुसइ ) या-अपने अनेक भागों से उसके एक देश का स्पर्श करता है ? ( देसे हिं देसे फुसइ) या अपने अनेक भागों से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? (देसेहिं सव्वं फुसह ) या अपने अनेक देशों से उसे पूरे रूप में स्पर्श करता है ? (सव्वेणं देसं फुसइ, सव्वेणं देसे फुसइ, सव्वेणं सव्वं फुसइ ) या अपनी पूर्णता से-अपने समस्त भागों से-उस के एक देश का स्पर्श करता है ? या अपनी पूर्णता से उसके अनेक देशों का स्पर्श करता है ? या अपनी पूर्णता से अपने समस्त भागों से उसे पूर्णरूप से स्पर्श करता है ? ( गोयमा ) हे गौतम ! (णो देसेणं देसं फुसइ ) वह पुद्गलपरमाणु दूसरे पुद्गल परमाणु के अपने एक देश से एक देश का स्पर्श नहीं करता है । (णो देसेणं देसे फुसइ) न (परमाणुपुगालं फुसमाणे ) मीत ५२भा पुरसन। २५श ४२ छ, ( किं देसेणं देसं फुसइ) ते शुगताना मे शथी ( माथी ) तेना मे देश २५ ४२ छ १ सय ( देसेण देसे फुसइ) पोताना शिथी तेना अने। शोन। २५ ४२ छ १ अथव। ( देसेणं सव्वं फुसइ) पाताना मे शिया तन। मामा मागना २५॥ ४२ छ ? अथवा (देसेहि देसे फुसह) पोताना मन देशोथी ( मामाथी) तेना से शन। १५ ४२ छ १ ( देसेहिं देसे फुसइ) मा पाताना भने मामाथी तेन भने लागोन। ५५श 3रे छ ? ( सव्वेण देसं फुसइ, सव्वेण देसे फुसइ, सव्वेण सव्व फुसइ) અથવા પોતાના બધા ભાગોથી તેના એક ભાગને સ્પર્શ કરે છે ? અથવા પિતાના બધા ભાગોથી તેના અનેક ભાગોને સ્પર્શ કરે છે? अथवा पोताना मघा मागाथी तेन मया लागाने २५ ४२ छ १ ‘गोयमा !"
गौतम ! (णो देसेण देस फुसइ) ते ५२मार पोताना मे लायी भी ५२मा सना गने। २५० ४२ नथी, (णो देसण देसे फसइ)
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪