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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० उ० १ सू० २ रात्रिदिवस स्वरूपनिरूपणम् १९ रात्रिः पञ्चदशमुहूर्तानन्तरो दिवसः सातिरे हा पञ्चदशमुहूर्ता रात्रिः, चतुर्दशमुहूर्ता दिवसः षोडशमुहूर्ता रात्रिः, चतुर्दशमुहूर्तानन्तरो दिवसः, सातिरेका षोडशमुहूर्ता रात्रिः त्रयोदशमुहूर्ती दिवसः सप्तदशमुहूर्ता रात्रिः, त्रयोदशमुहूर्तानन्तरो दिवसः, सातिरेका सप्तदशमुहूर्ता रात्रिः । यदा खलु जम्बूद्वीपे द्वोपे मुहत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा चउद्दस मुहुत्ता राई) जब सत्तरह मुहूर्त से भी कुछ कम दिवस होता है, तब तेरह मुहूर्त से भी कुछ अधिक रात्रि होती है। और जब सोलह मुहूर्त्त का दिवस होता है तब १४ चौदह मुहूर्त्त की रात्रि हो जाती है । जब सोलह मुहूर्त्त से कुछ कम दिवस होता है तब रात्रि कुछ अधिक चौदह मुहूर्त्त की हो जाती है । ( पण्णरस मुहुत्ते दिवसे, पण्णरसमुहुत्ता राई ) जब पन्द्रह मुहूर्त्त का दिवस होता है तब पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है । ( पण्णरस मुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा पण्णरसमुहन्ता राई ) पन्द्रह मुहूर्त्त से कुछ कम जब दिवस होता है, तब कुछ अधिक पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। (चोदसमुत्ते दिवसे, सोलसमुहुप्ता राई ) जब चौदह मुहूर्त्त का दिवस होता है तब सोलह मुहूर्त्त की रात्रि होती है । ( चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सोलहमुहुत्ता राई ) जब चौदह मुहूर्त्त से कुछ कम का दिन होता है तब रात्रि कुछ अधिक सोलह मुहूर्त्त की होती है। (तेरसमुहन्ते दि. बसे, सत्तरसमुहसा राई ) जब तेरह मुहूर्त्त का दिवस होता है तब मुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा चउद्दसमुहुत्ता राई ) न्यारे सत्तर भुहूर्त अस्तां પણ કંઈક ટૂંક દિવસ થાય છે, ત્યારે તેર (તેર) મુત કરતાં કંઇક વધારે સમયની રાત્રિ થાય છે, જ્યારે સાળ મુદ્દત ના દિવસ થાય છે, ત્યારે ચૌદ મુદ્દતની રાત્રિ થાય છે, જયારે સાળ મુદ્દત કરતાં પણ કંઇક ઓછા સમયના દિવસ હાય છે ત્યારે ચૌદ મુહૂતથી કંઇક વધારે સમયની રાત્રિ થાય છે. ( पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई ) न्यारे १५ पंढर भुतनी हिवस थाय छे, त्यारे पहर भुर्तनी रात्रि थाय छे. ( पण्णरखमुडुताण तरे दिवसे साइरेगा पण्णरसमुहुत्ता राई ) न्यारे पहर मुहूर्त थी ४६ टू दिवस होय छे, त्यारे रात्रि पहर भुहूर्त थी ४४४ सांगी होय छे, ( चोद्दसमुहुत्ते दिवसे, सोलस मुद्दत्ताराई)न्यारे १४यौः भुहूर्त नो हिवस थाय छे, त्यारे १६ सोण भुहूर्तनी रात्रि थाय छे. ( चोदसमुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा सोलस मुहुत्ता राई ) न्यारे દિવસ ચૌદ મુહૂત કરતાં કંઈક ટૂંકા થાય છે, ત્યારે રાત્રિ સાળ મુહૂત કરતાં श्री भगवती सूत्र : ४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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