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________________ ४७ पुद्गल द्रव्यके अल्य बहुत्वका निरूपण ५२८-५४४ ४८ नैरयिकों के असुरकुमार आदिकों के और एकेन्द्रियादिको के आरंभ अनारम्भ आदिका निरूपण ५४५-५६८ ४९ हेतु के स्वरूपका निरूपण ५६९-५८२ आठवां उद्देशक ५० आठवें उद्देशक के विषयका विवरण ५८३-५८४ ५१ पुद्गल के स्वरूपका निरूपण ५८५-६३६ ५२ जीवों के वृद्धिहारू आदिका निरूपण नववां उद्देशक ५३ नववें उद्देशक केविषयों का विवरण ६७८-६८० ५४ राजगृह नगरके स्वरूपका निरूपण ६८१-६८७ ५५ प्रकाश और अन्धकार के स्वरूपका निरूपण ६८८-६९९ ५६ नैरयिक आदि जीवोंके समयादि ज्ञानकानिरूपण ६००-७०९ ५७ पार्थापत्यीय स्थविर और महावीर स्वामीका संवाद ५८ देवलोक के स्वरूपका निरूपण ७३२-७३५ दसवां उद्देशक ५९ चन्द्रके स्वरूपका निरूपण ७३६-७५१ छठे शतकके पहला उद्देशक ६० पहले उद्देशेके विषय का संक्षिप्त विवरण ७५२-७५५ ६१ उद्देशेके विषय संग्राहक गाथा ७५६-७५६ ६२ वेदना निर्जराके स्वरूपका निरूपण ७५७-७८२ ६३ करण के स्वरूपका निरूपण ७८३-७९५ ६४ वेदना और निर्जराके साहचर्यका निरूपण ७९६-८०१ दूसरा उद्देशक ६५ आहार के स्वरूपका निरूपण ८०२-८०३ तीसरा उद्देशक ६६ तीसरे उद्देशेके विषयोका विवरण ८०४-८०८ ६७ महाकर्म और अल्पकर्मके स्वरूपका निरूपण ८०९-८३२ श्री. भगवती सूत्र:४
SR No.006318
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1142
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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