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नहीं यह कुलवंती री रीत बुद्धिवंतीजी ॥४॥ तीज तिवार मती करो गुणवंतीजी, गुणवंतीजी । अनदंड हिसा थाय बुद्धिवंतीजी ॥५॥ लिलोत्री छेदो मती गुणवंतीजी । मती जीमो रात्री के मांय बुद्धिवंतीजी ॥६॥ व्रत महावीर बारह कह्या गुणवंतीजी, गुणवंतीजी, दूजा व्रत मती जाण बुद्धिवंतीजी ॥७॥ उपवास, एकासणा थे करो गुणवंतीजी, गुणवंतीजी, आयम्बिल तप लेवो धार बुद्धिवंतीजी ।।८॥ ए व्रत थे नित करो गुणवंतीजी गुणवंतीजी, जासो मुगती मझार बुद्धिवंतीजी ॥९॥ मिथ्या पर्व अभी नहीं करूँ मारा प्रीतमजी, प्रीतमजी, सम्यक्त्व व्रत सुखकार साहबजी ॥१०॥ फाटी गाली मत गावजो गुणवंतीजी, गुणवंतीजी । लागे दोष अपार बुद्धिवंतीजी ॥११॥ ढूंटया कभी मत काढजो गुणवंतीजी, गुणवंतोजी । नकल करो मती कोय बुद्धिवंतीजी ॥१२॥ गेर कभी मत खेलजो गुणवंतीजी, गुणवंतीजी । पाप लागे अपार बुद्धिवंतीजी ॥१३॥ पर पुरुषां के तन पर गुणवंतीजी, गुणवंतीजी। मत डालो कोई नीर बुद्धिवंतीजी ॥१४॥ शील व्रत में दोष लागे गुणवंतीजी, गुणवंतीजी। केई बिगड़या लोग बुद्धिवंतीजी ॥१५॥ पतला कपडा मत पेरजो गुणवंतीजी, गुणवंतीजी, जो दीसे सारे अंग बुद्धिवंतीजी
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