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ब्रह्मचारी, इन कारण मिलिया शीलवंती नारी ॥ सुख मायें रहजो ने जीवन बितायजो, हिलमिल प्रेम बहुत बढ़ायजोजी ।।
॥ बधावा ॥ (तर्ज-- कसुम्बल वीरा बधावना ।) ये तो ऊँची-ऊँची मेढी सोवन्ति, ओ तो दिवलो बले रे मजालो ॥ करसुं मंगल बधावना ॥१॥ जठे पन्नालालजी पोढ़िया, वांरी संदन ढोले वायरोजी ।। करसं मंगल बधावना ॥२॥ यह तो ढोल ढलन्ता इम कह्यो, थाने किम सुख आयी नीन्दोजी ॥३॥ बाई मंजु परणाई मेली सासरे, माने इण सुख आयी माने नीन्दोजी ॥ करसुं मंगल बधावना ॥४॥
। कँवर कलेवा और संघ पूजन का गीत ॥
(तर्ज---थारो माया रो दूंबालो ओ बोन्दराजा ।) ___सासु सुसराजी घणा हरषाया ओ बीन्दराजा। कलेवो मेल्यो जीमण काज ॥ लाडु ने पेडा सरस जलेबी । घेरिया है चार ।। कपड़ा ने गेणा माणक मोती, पेरो तन पर धार ।। संघरी सेवा करनी बोंद राजा, संघ चार प्रकार जान ॥ साधु-साध्वी ने श्रावक
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