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इस विध दी सीख बनी ने, मिल सारो परिवार । जाण फायदो इनM उण भी, लीवी हृदय धार ॥९॥
।। सरदार बनासा ।। (तर्ज- घण्टा घर बनियो गिरदो कोट में।) सरदार बनासा, चरखो मंगवादो मारे वास्ते । उमराव बनासा, रई मंगवादो मारे वास्ते ॥टेर।। चरखा लादो धणी चाव है, देवो रुई पिजाय । झीणो-झोणो तार काढ सुं, हरख-हरख मन लाय ॥१॥ कात-कात ने कोकडियाँ कर, घरे बनासा थान । सादी-खादी बापरियाँ सुं, घणो बदेला मान ॥२॥ 'कंचक, साडी, और ओढणों, घाघर घेर दार । देशी पहरों खादी में तो, करसाँ देश उद्धार ॥३॥ खाणों देशी पीणों देशी, 'देशी मारो अंग । देशी चाल ढाल भी देशी, साचो देश रो रंग ॥४॥ धोती कोट कमीज दुपट्टा, सब खादी के धारो। चाले घणा खरच पिण कमती, होवे देश सुधारो ॥५॥ कान लगाकर सुनो बालमा, घणा फायदा इणमें। . धनी-निर्धनी दुःखिया सुखिया, सुख पावे सब इनमें ॥६॥ टेम मिले नहीं झगड़ा करणे, ईश्वर प्रेम बढ़ावे । तन आरोग्य दिल हो ताजा, दुःख के दिन कटजावे ॥७॥
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