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॥ सवरा ।।
(सर्ज--पनवाडी रा लम्बा तोखा शानडा) वनवाडी में खुल रह्या फूल, गूंथ लाय मारी मालन सेवरो॥ बाजार में बैठा बालक बनडा तो, सेवरया में चित्त गयो जी। मेलाँ माये बेठी बालक बनडी तो, सेवरिया में चित गयोजी ॥ परणिजू सा शीलवंती नार, के नहीं तर अखंड कवारो रहसं जी॥ परणिजू सा शीलवंता कुमार, के नहीं तर अखण्ड कुमारी रहसू जी ॥ कांई थाने बनडा सूतो सपनो आयो के, काँई थाने नेणा नोंद आयी जी ॥ नहीं माने पिताजी सूता सपना आया के, नहीं माने नेणां नींद आयी जी। परणावो माने शुभ मुहूर्त मायें के, शुभ दिन आज को जी । परणाई है बुद्धिवंती नार के, कुल मायें कलशचढावलीजी ॥ इति ।
। चून्दडी का गीत ॥
( तर्ज... - मवागन बालक बनडो बारे जी आवो।)
सवागण बालक बनडी मेला में बैठी, माताजी वचन सुनावे यूँ ॥ सवागण बालक बनडी सभा में आवो, ओढ़ो केसर कसुम्बल चुन्दडी ॥ मारे बाबोसा देखे
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