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( १२२) मोटो मेळो भराय छे. शाह कपूरचंद प्रतापनीए गाम बहार शिखरबंधी एक नवू देरासर बंधाव्युं छे, तेनी प्रतिष्ठा हवे थवानी छे. शाह उदेभाण शोभाजीए बंधावेली जैन धर्मशालामां उतर्या. ते सिवाय बीजी जैनधर्मशाला २ अने उपाश्रय २ छे. शेठ कस्तूरचंदनी शवाजी अने शेठ रायचंद शवाजीए खास कन्याशाला माटे बंधावेला मकानमा तेओना तरफथी जैनकन्याशाळा चाले छ. आ० गृ० १ शेठ मन्नालालजी गोवानी, २ शाह रामचंद कूपाजी, ३ शाह कस्तूरचंद शवाजी, ४ शाह हंसाजी फताजी, ५ शाह प्रतापचंद भेराजी, ६ शाह चीमनाजी प्रतापजी, ७ शाह जेठाजी मेराजी, ८ शाह ताराचंद दलीचंद, ९ शाह रीखवचंद वरधाजी, १० शाह नेमचंद उमाजी, ११ शाह फौजमल्ल वनेचन्द, १२ शाह फौजमल्ल जेताजी विगेरे. अहिं पोरवालनां ५० घर अने
ओसवालनां १६० घर छे. अहिंना श्रावकोमा सात तड (धडा) छे ते मुख्य बे पक्षोमां वहेंचाई गया छे. पहेला पक्षमा त्रण तडवाळा शाह उदेभाण शोभाजीनी धर्मशालाए जवावाला छे, अने बीजा पक्षमा चार तडवाळा उपाश्रये जवावाळा छे. पहेला पक्षवाळामां मुनिराजोने विनति करी चोमासुं लाववा, शुभ कार्योमां द्रव्यनो व्यय करवो विगेरे धार्मिक प्रवृत्तिओमां उत्साह अने विवेक कांइक ठीक छे, ज्यारे बीजा पक्षवाळा धर्ममां शिथिल, विवेकशून्य अने कदाग्रही छे. देरासरनो वहिवट तेओना हाथमां छे, देवद्रव्यनु ठेकाणुं नथी, तेथी पहेला पक्षवाळाओने देरासरना ट्रस्टीओमां नीमता नथी. जो देवद्रव्यनी चोखवट थइ जाय तो संघने सोंपवू पडे अथवा सारी व्यवस्था करवी पडे, ते माटे तेओ हमेशां झघडा करवा तैयार रहे छे, अने संघमां कोइपण सारो सुधारो थतो होय तेमां पण विघ्न नांखे छे, माटे गामना सज्जनोए एवा माणतोने खुल्ला पाडीने धर्मनी उन्नतिमां कटिबद्ध थर्बु जोइए. बीजा पक्षमां पण शाह अनूपचंद गुलाबजी, शाह डूंगा लच्छीराम विगेरे केटलाक सरल स्वभावी अने सज्जनो छे.