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________________ ( १२० ) धर्मशाला शाह मूलचंद मनजीए बंधावेली गाम बहार छे. गाम बहार जैन स्कूल माटे मोटुं मकान नवं तैयार ययुं छे. तेमां जैन स्कूल हाळमांज शरु थइ छे. आत्म वल्लभ जैन लाइब्रेरी हाल बंध छे. आ. गृ. १ शेठ मूलचन्दजी छजमलजी, २ शेठ गंगारामजी हंसराजजी सादरीना श्रावकोमा धार्मिक विवेक कांइक ठीक छे, पण संघमा संप नथी, नजीवा कारणथी बे तड पड्यां छे. एक संपी थइ कार्य करवानी जरूर छे. गोलवाडना लगभग बधा गामोमां ओसवाल - पोरवाल वच्चे रागद्वेष-चाताण वधारे प्रमाणमां जोवाय छे. गोल्वाडमां भाग्येज एवं कोइ पुण्यशाली गाम बच्युं हशे के ज्यां बे-चार तड (घडा) नहीं होय स्था० वा० नां घर १७५ अने स्थानक ५ छे. राणपुरजीना रस्ता ऊपर हीरावाव, नानी धर्मशाला अने चोतरो सादरीवाळा शेठ मूलचंदजी छजमलजीए बंधावेल छे. सादरीथी १ || माइल दूर मादा गाममां एक देरासर छे, त्यां श्रा० घर अने उपाश्रय नथी, पण एक स्थानक छे. सादरीथी बे माइल दूर राजपुर गाम छे, त्यां श्रा० घर नथी, नानी जनधर्मशाला छे, त्यांथी एक माइल दूर जंगलमां पहाडनी पासे श्रीशांतिनाथ भगवाननुं देरासर छे, त्यां प्रतिवर्षे कार्त्तिक शुदि २ नो मेळो भराय छे. ३६५ राणपुरजी तीर्थ, त्रण बाजुएथी पर्वतनी श्रेणिओथी विंटाएलं, पहाडोनी नीचैनी तलामां आवे छे. तीर्थ रमणीय अने यात्रा करवा लायक छे. एक विशाल धर्मशाला छे. उपाश्रय एक हालमां नवो थयो छे. मुख्य देरासरनी सामे मोटा गृहस्थोने उतरवा लायक एक बंगलो पण नवो थयो छे. यात्रालुओने सगवड छे. अहिंनु त्रैलोक्यदीपक ( धरण विहार ) नामनुं खरेखर अन्वर्थ नामवालुं; अनेक भव्य अने कशीवाळा विशाल मंडपो, गंभारा अने स्तंभोवाळु; अनेक प्रकारनी कारीगरीथी भरपूर ; चतुर्मुख श्रीयुगादिदेवनं आ मुख्यमंदिर संवत् १४९६ मां राणपुर नगरमां पोरवाळ संघपति धरणा शाहे बंधावी सं. १४९८ ना फा० व० ५ तपागच्छाचार्य श्री सोमसुंदरसूरिजी पासे तेनी प्रतिष्ठा करावी छे. अहिं दर वर्षे गु० फागण वदी १० अने आशो शुदि १३ ने दिवसे मोटा मेळा भराय छे. मुख्यमंदिर उपरांत श्रीपार्श्वनाथ भगवाननुं अने श्रीनेमिनाथ भगवाननुं एम बीजां बे देरासरो छे. राणपुरजीमां ८४ भोंयशं छे एम कहेवाय छे, पण हालमां ११ भोंयरा खोलवामां आवे छे, तेमां अनेक जिनबिंबो छे, बाकीनां भोंयरां क्यां छे तेनो पत्तो नथी. शिलालेखो उपरथी जणाय छे के अहिं राणपुर नामनुं मोटुं नगर हतुं अने
SR No.006292
Book TitleVihar Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1926
Total Pages158
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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