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(१०८) छे: आ. गृ. श्रावक रतनलालजी ओसवाल जैन, उपदेशनी जरूर छे. दि. नुं १
घर छे. स्टेशन छे. ३२४ उज्जैन, ग्वालियर स्टेटना मालवाना चार जील्लामांथी एक मुख्य जील्लो छे.
शहेर सारं अने प्राचीन छे. पहेलां आने उज्जयिनी अथवा अवंती नगरी कहेता हता. हिंदुओर्नु अने जैनोनुं तीर्थ छे. श्रीमान् आर्य सुहस्तिसूरिना शिष्य अवंती-- सुकुमाळ अहिं दीक्षा लइ क्षीप्रानदीने कांठे श्मशानभूमि पासेना कंथेरना वनमां . काउसग्ग ध्यानमा रही देवलोकवासी थया, तेमना स्मरण माटे तेमना पुत्रे महाकाल नामर्नु अवंतीपार्श्वनाथनुं विशाल देराप्तर बंधाव्यु. पाछलथी शैवलोकोनुं जोर वधवाथी तेओ पार्श्वनाथ भगवान्नी मूर्ति ऊपर शैवलिंग स्थापन करी तेने पूजवा लाग्या, केटलोक समय गया बाद अहिं श्रीमान् सिद्धसेन दिवाकरसूरिए कल्याणमंदिर स्तोत्रनी रचना करी तेना प्रभावथी महादेवनुं लिंग फाट्यु, तेमांथी पार्श्वनाथ भगवान्नी मनोहर मूर्ति प्रगट थइ अने तेथी विक्रमादित्य राजा प्रतिबोध पाम्यो. श्रीमान् मानतुंगसूरिजीए राजा वृद्धभोजने अनेक चमत्कार देखाडवापूर्वक श्रीभक्तामरस्तोत्रनी रचना पण अहिंज.करी छे. उज्जैनमां शांतिनाथनी जैन उपाश्रयमा उता. जैन श्वे० स्कूल अने आनंदवर्धक स्वयंसेवक मंडल छे. सराफामां दादाजीनी छत्री छे. आ. गृ. १ शेठ घमडशी जुहारमल, २ शेठ कर्मचंदजी दीपचन्दनी कोठारी, ३ शेठ अमरचम्दनी दीपचन्दजी बांठीया, ४ शेठ अमुलखचन्दजी, ५ शेठ उमरावसिंहनी सरदारसिंहजी. उपाश्रयथी एक माइल दूर दरवाजा बहार क्षीप्रा नदीनी पासे श्रीअवंतीपार्श्वनाथनुं देरासर छे, पासेम जैनधर्मशाला छे, यात्रालुओने सगवड छे. आ देरासरनी बिलकुल पासेज महादेवनुं एक मंदिर छे. क्षीप्रा नदीथी | माइल दूर बडनगरने रस्ते दादावाडी छे. अहिंना संघमां तड नथी पण निर्नायकता जरूर छे. संघना कामो माटे कमिटी स्थापन करी आगेवान तरीके एकने प्रमुख स्थापन करी संपथी काम चलाववानी जरूर छे. अहिं अने आखा मालवामां संवेगी मुनिराजोए वखतोवखत विचरी चोमासां करी श्रावकोने उपदेश आपी धर्ममां दृढ करवानी खास जरूर छे. स्था०वानां घर २०० छे. दिगंबरीनां घर ५०, देरासर ४, अने दि. जैनविद्यार्थी भुवन छे. उज्जैनमां ज्योतिषशास्त्रना आधारथी बनेलं पाषाणनुं घटीयंत्र अने अनेक धर्मस्थानो जोवालायक छे. अहिंथी देवासनी (मा० २६) अने आगरनी (मा० ४०) पाकी सडको गइ छे. उज्जैनथी सीधा काचे रस्ते रतलाम मा० ४८