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नवू करावी पूज्यपाद आचार्य श्रीविनयेन्द्रसूरिजी महाराज पासे तेनी संवत् १९७९ ना वैशाख शुदी ७ ने सोमवारे प्रतिष्ठा करावी छे. तथा तेज समयमां, जगत्पूज्य गुरुवर्यनी खास भलामणथी शेठ लखमीचन्दजी बैदे करावेल श्रीविजयधर्म लक्ष्मी ज्ञानमंदिर नामर्नु जैनसमाजमां अद्वितीय पुस्तकालय घणा मोटा पाया ऊपर तेओश्रीए शरु करावी जाहेर प्रजाने माटे खुल्लु मुकाव्युं छे तेमां पूज्यपाद गुरुवर्यनो तमाम पुस्तकभंडार तथा शेठ लक्ष्मीचंदनी लायब्रेरीने मेळवी देवामां आव्यां छे. हस्तलिखित अने छापेलां थइने ल० वीश हजार पुस्तकनो संग्रह छे, अनेक भाषाओनां पेपरो आवे छे, तेनो तमाम जाहेर प्रजा सारी रीते लाम ले छे. मंदिरनी पासेज उपर्युक्त शेठजीए मोटी धर्मशाला बंधावी छे तेमां यात्रालुओने उतरवानी सगवड छे. तेमज तेमना तरफथी जैनपाठशाला अने सरस्वती
प्रीन्टींग प्रेस पण चाले छे, शेठ तेजकरणजी चांदमलजीने त्यां घरदेरासर छे. १४० आगराथी मथुरा सुधी ( माइल ३५ ) अने मथुराथी वृन्दावन सुधी ( माइल ६)
पाकी सडक छे. यमुनानो नवो पुल उतर्या पछी मा० नं० शरु थाय छे. पहेलांबधा पल्लीवालो प्रायः श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैनो हता, पण पाछलथी संवेगी साधुओना उपदेशना अभावथी आगरा जील्लाना पल्लीवालो प्रायः दिगंबर आम्नाय मानवा लागी गया छे. अने केटलाक स्था० वा० आम्नाय माने छे. पण तेओ हजु सुधी एटलुं तो जरुर
जाणे छे के अमो श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन छीए. १७१ सिकंदरा, स्टेशन छे. पल्लीवालतुं घर १, दि० नां घर ५ तथा देरासर १
छे. दिगंबरीनी धर्मशालामा उता. सिकंदरो (जेमां बादशाह अकबरनी कबर छ ) जोवालायक छे. मा० नं० ५-४ थी कैलासनी पाकी सडक ( माइल १॥) जाय
छे. त्यां जमनाना किनारा ऊपर हिंदुओर्नु धाम छे. स्थान रमणीय छे.. १७२ रुणकटा, स्टेशन छे. पल्लीवाल जैनोनां घर ७ छे, सडक ऊपर जूना थाणामां अने
बीजीवार श्रावक जवाहिरलालजीना मकानमां उतर्या. श्रीमान् आचार्य महाराज
श्रीविनयेन्द्रसूरीश्वरजीना उपदेशथी घरदेरासर स्थापन थयुं छे. धातुनी प्रतिमा छे. १७३ फरा, कस्बो छे. स्टेशन अमे बजार छे. अहिं अग्रवालोनां घर ५० छे. सडक
ऊपर धर्मशालामां उतर्या. मा० नं० १९-२ पासे डाकबंगलो छे, १७४ मथुरा, जील्लो छे. शहेर मोटुं छे. हिंदु अने जैनोनुं प्राचीन तीर्थ छे. मा० नं० ३५
थी ल० १ माइल बजारमा चाली घीयामंडीमां जैन श्वे. मंदिरे गया. पासेज दि.