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आर्य स्थूलभद्र स्थूलभद्र के अन्दर एक बिजली-सी दौड़ गई। वह एक झटके | से उठे। उनके सुस्त मुख पर तेज दमक उठा। बोले
बहन ! तुमने जगा दिया मुझे। डूबते को
बचा लिया।
भैया ! क्या हुआ? क्या कह
रहे हो?
कुछ नहीं। भटके हुए राहगीर को अपना मार्ग मिल गया। अब मैं
नहीं भटकूँगा।
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तभी छोटी बहन सेणा ने आकर कहा
|श्रीयक ने उठकर दण्डनायक का स्वागत किया। दण्डनायक ने कहा
महाराज नन्द ने कहलवाया है, महामंत्री के निधन से उनका मन भी बहुत
आप महाराज से उदास हो रहा है। उनके ।
निवेदन करें १२ दिन अभाव की पूर्ति करना अब Kalam तुम्हारे हाथ है।
बाद ही कोई निर्णय हो
सकेगा। छवाह
भैया ! दण्डनायक
आये हैं। कम्छा
25 उन्हें यहीं भेज दो।
कुछ देर बातचीत करके दण्डनायक चले गये।