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कर भला हो भला पण्डित लड्डु लेकष्ट विद्युतप्रभा से मिलने चला। रात को वह एक देवता ने तुरन्त जहरीले लड्डुओं को अमृतरस से वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा। उस वृक्ष पर वही नागदेव रहता भर दिया। था। जिसकी जान विद्युतप्रभा ने बचाई थी। उसे लड्डुओं की सुगन्ध | आई तो उसने अपने ज्ञान से देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ
अरे ! यह तो उसी कन्या को मारने के लिए लड्डू ले जा रहा ।
है जो मेरी उपकारी है।
SAMITAM
सुबह उठकर ब्राह्मण आगे चला। राज-दरबार में || राजा जितशत्रु ब्राह्मण से लड्डू लेकर आराम शोभा के महल में पहुंचकर उसने राजा जितशत्रु को आशीर्वाद दिया। || आया और एक लड्डू आराम शोभा को दिया एक स्वयं खाया। राजा ने श्वसुर का स्वागत किया। ब्राह्मण बोला
वाह ! क्या स्वादिष्ट
महाराज! महाराज ! हमें पुत्री की ।
वाह ! लडू हम || लड्डू हैं। ऐसे लड्डू तो हमने यह मेरी माँ के हाथ बहुत याद आ रही है।
स्वयं अपने हाथों आज तक नहीं खाये। / के लड्डू हैं। उसकी माँ ने उसके लिये/ से आराम शोभा
कुछ लड्डू भेजे हैं। को देंगे।
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(गाना
राजा ने सभी रानियों को लड्डू खिलाये। सभी ने उसके स्वाद की प्रथांसा की।
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