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लाललाल कीचड़ में
करनी का फल और राजमाता भी अपनी
यह सुनकर ब्रह्मदत्त आश्चर्य से सोचने लगामर्यादा तोड़कर पूरी तरह इस
क्या मेरी माँ ऐसी कीचड़ में फँस चुकी है:Amim
हो सकती है? ऐसी दुश्चरित्र नारी को क्या मैं माँ कहूं?
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सोचते-सोचते कुमार ब्रह्मदत्त को क्रोध आ गया। वह बोला
मैं उस दुष्ट नीच दीर्घराज को खत्म
कर डालूँगा।
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कुमार ! अभी आप उम्र में छोटे हैं। और वह दुष्ट बड़ा धूर्त व शक्तिशाली है। उसे शक्ति से नहीं, युक्ति से
जीतना चाहिए।
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वरधनु ने कुमार को एक योजना समझाई।
दूसरे दिन कुमार ब्रह्मदत्त ने एक कोकिल और कौए को एक साथ बाँधकर दीर्घराम के शयन कक्ष के बाहर टाँग दिया और तलवार घुमाते हुए कठोर स्वर में बोलने लगा
ऐ नीच कौए ! तेरी यह धृष्टता ! कोकिल के साथ क्रीड़ा करने का
दुःस्साहस ! देख मेरी यह तलवार तुझे इस दुष्टता का दण्ड
देकर रहेगी...
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