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दुराग्रह का फल सभी ने अपने पास की धोती चादर आदि लेकर लोहे ||
सभी ने लोहा फेंककर अपने गट्ठर में सीसा बाँध लिया। के गट्ठर बाँध लिये। सिर पर बोझा लादे कुछ ही । आगे चले तो एक जगह उन्हें मिट्टी में सीसे के कण
एक साथी ने लोहा नहीं फेंका तो उन्होंने कहाबिखरे दिखाई दिये। उस अनुभवी ने कहा
अरे भाई, तू भी लोहा फेंककर रुको, इस मिट्टी में शीशा ।
सीसा क्यों नहीं ले लेता। सीसे बहुत है। लोहा फेंको और
की तो कीमत ज्यादा मिलेगी। सीसा बाँध लो।
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परन्तु लोहे वाले व्यापारी ने मुँह बिगाड़कर कहा
तुम लोग अस्थिर मन वाले हो, बार-बार कर बदल जाते हो। मैं तो अपने विचार का पक्का आदमी
बार ले लिया सो ले लिया।
सभी व्यापारी आगे चलने लगे। कुछ दूर पर ताँबे की खान आई तो सभी खुश होकर कहने लगे| लो, अब तो ताँबा मिल गया, ) सीसा फेंको, ताँबा बाँध लो।
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तुम लोग चाहे जो लो, मैं तो। अपने विचार का पक्का हूँ।
लोहा नहीं छोडूंगा। | एक को छोड़कर सभी व्यापारियों ने सीसा फेंककर ताँबा बाँध लिया
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