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देवदत्ता
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१८. यह सुरूपता के साथ-साथ धीर, गंभीर, मृदुहृदया, कार्यकुशल और
विनयवती है। १९. जो इसके साथ विवाह करेगा वह धन्य होगा । क्योंकि संसार मे रूप
संपन्न कन्याएं बहुत हैं लेकिन गुणवती नहीं। २०. उसकी बात सुनकर राजा ने पुनः कुछ नहीं कहा । क्योंकि महान्
व्यक्ति बिना विचारे कुछ नहीं बोलते । २१. अश्वक्रीडा करके राजा प्रसन्नमन से अनुचरों के साथ शीघ्र ही अपने महलों में आ गया।
प्रथम सर्ग समाप्त