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सुबाहुचरियं
११९ १९-२०. उसकी ऋद्धि को देखकर गौतमस्वामी ने भगवान् को पूछा-यह
कैसे सब का प्रिय और मनोज्ञ हुआ है ? यह पूर्व भव में कौन था ? इसने कौन-सा ऐसा कर्म किया था जिससे इस प्रकार की मानुषिकी ऋद्धि प्राप्त की है ?
२१. इंद्रभूति गौतम का यह प्रश्न सुनकर तब चरम तीर्थंकर ने अपने ज्ञान
वल से सुबाहुकुमार का पूर्वभव कहा।
प्रथम सर्ग समाप्त