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देवदत्ता
१०९ ७५. वहां की (देवलोक) स्थिति भोगकर वह महाविदेह क्षेत्र में किसी श्रेष्ठी
कुल में उत्पन्न होगी। ७६. वहां भी साधु की संगति पाकर धर्म श्रवण करेगी। अंत में प्रव्रज्या ग्रहण कर मोक्ष प्राप्त करेगी।
पंचम सर्ग समाप्त विमलमुनिविरचित पद्यप्रबंधदेवदत्ताचरित्र समाप्त