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________________ अजीव पदार्थ २१. काल अजीव द्रव्य है। उसके अनन्त द्रव्य कहे गये हैं। वे उत्पन्न हुए, होते और होंगे। उनका कभी भी अन्त नहीं आयेगा। काल के द्रव्य अनन्त हैं (गा०२१-२२) २२. गत काल में अनन्त समय हुए हैं, वर्तमान काल में एक समय है और आगामी काल में अनन्त समय होंगे। यह काल द्रव्य है। इसको पहचानो" | २३. भगवान ने काल द्रव्य को निरन्तर उत्पन्न होने की अपेक्षा से शाश्वत कहा है। यह उत्पन्न होता है और विनाश को प्राप्त होता है, इस दृष्टि से इसको अशाश्वत कहा है। काल शाश्वतअशाश्वत का न्याय (गा०२१-२६) २४. काल द्रव्य शाश्वत नहीं है। ये प्रवाह की तरह निरन्तर उत्पन्न होते हैं। जो समय उत्पन्न होता है वह विनाश को प्राप्त होता है। प्रवाह रूप से काल का कभी अंत नहीं आता। २५. सूर्य और चन्द्रमादि की चाल से समय निरन्तर जल-प्रवाह की तरह उत्पन्न होता रहता है, इस उत्पत्ति की दृष्टि से काल शाश्वत है। समयादि सर्व अद्धा काल की यही बात २६. एक समय उत्पन्न होकर विनाश को प्राप्त होता है कि दूसरा समय उत्पन्न हो जाता है, दूसरे का विनाश होता है कि तीसरा उत्पन्न हो जाता है। इस तरह समय एक के पीछे-एक-अनुक्रम से उत्पन्न होते जाते हैं | काल का क्षेत्र २७. काल ढाई द्वीप में वर्तन करता है। उसके बाहर काल नहीं है, इसी कारण ढाई द्वीप के बाहर के ज्योतिषी इसी कारण वहीं के वहीं एक जगह रहते हैं |
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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