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बंध पदार्थ
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मुक्त जीव
२६. कर्म रहित जीव निर्मल होता है। ऐसे जीव को मुक्त कहा
जाता है। वह जीव शाश्वत सिद्ध होता है। उसने कर्मबन्ध का आत्यन्तिक क्षय कर दिया।
३०. यह जोड़ बंध तत्त्व को समझाने के लिए श्रीजीद्वार में सं०
१८५६ की चैत्र बदी १२ वार शनिवार को रची गई है।
रचना-स्थल व
काल