________________
૬૬૬
नव पदार्थ
५. पुन नों बंध उदे हूआं, जीव ने साता सुख हुवें सोयो जी।
पाप नों बंध उदे हूआं, विविध पणे दुःख होयो जी।।
६. बंध उदे नहीं ज्यां लग जीव नें, सुख दुःख मूल न होय जी।
बंध तो छता रूप लागो रहें, फोड़ा न पाडे कोय जी।।
७. तिण बंध तणा च्यार भेद छे, त्याने रूडी रीत पिछांणों जी।
प्रकत बंध नें थित बंध दुसरो, अनुभाग में परदेस बंध जाणों जी।।
८. प्रकत बंध , करमां री जूजूइ, ते करमां रा सभाव रे न्यायो जी।
बांधी , तिण समें बंध छ, जेसी बांधी तेसी उदे आयो जी।।
६. तिण प्रकत ने मापी छ काल सूं, इतरा काल ताइ रहसी तामो जी।
पछेतो प्रकत विललावसी, थित सूं प्रकत बंध , आंमो जी।।
१०. अनुभाग बंध रस विपाक छ, जेसो २ रस देसी ताह्यो जी।
ते पिण प्रकत नों बंध रस कह्यों, बांध्या तेसां इज उदे आयो जी।।
११. परदेस बंध कह्यों प्रकत बंध तणो, प्रकत २ रा अनंत परदेसो जी।
ते लोलीभूत जीव सूं होय रह्या, प्रकत बंध ओलखाई वशेषो जी।।
- १२. आठ करमां री प्रकत छ, जूजूई एकीकी रा अनंत परदेसो जी।
ते एकीकी परदेस जीव रे, लोलीभूत हुवा , वशेषो जी।।