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________________ संवर पदार्थ (दाल : १) : टिप्पणी ३ ५२५ (६) प्राणातिपात विरणम संवर (गा० १०) : प्राणातिपात विरमण संवर प्राणातिपात आस्रव का प्रतिपक्षी है। हिंसा करने का त्याग करना अप्राणातिपात संवर है। (७) मृषावाद विरमण संवर (गा० १०) : यह मृषावद आस्रव का प्रतिपक्षी है। झूठ बोलने का त्याग करना अमृषावाद संवर है। (८) अदत्तादान विरमण संवर (गा० १०) : यह अदत्तादान आस्रव का प्रतिपक्षी है । चोरी करने का त्याग करना अदत्तादान संवर है। (९) मैथुन विरमण संवर (गा० १०) : यह मैथुन आस्रव का प्रतिपक्षी है। मैथुन-सेवन का त्याग करना अमैथुन संवर है। (१०) परिग्रह विरमण संवर (गा० १०) : यह परिग्रह आस्रव का प्रतिपक्षी है। परिग्रह और ममताभाव का त्याग अपरिग्रह संवर है। (११) श्रोत्रेन्द्रिय संवर (गा० ११) : यह श्रोत्रेन्द्रिय आस्रव का प्रतिपक्षी है। अच्छे-बुरे शब्दों में राग-द्वेष करना श्रोत्रेन्द्रिय आस्रव है। प्रत्याख्यान द्वारा श्रोत्रेन्द्रिय को वश में करना, शब्दों में राग-द्वेष न करना श्रोत्रेन्द्रिय संवर है। (१२) चक्षुरिन्द्रिय संवर (गा० ११) : यह चक्षुरिन्द्रिय आस्रव का प्रतिपक्षी है। प्रत्याख्यान द्वारा चक्षुरिन्द्रिय को वश में करना, अच्छा-बुरे रूपों में राग-द्वेष न करना चक्षुरिन्द्रिय संवर है। (१३) घ्राणेन्द्रिय संवर (गा० ११) : यह घोणेन्द्रिय आस्रव का प्रतिपक्षी है। सुगंध-दुर्गन्ध में राग-द्वेष करना घ्राणेन्द्रिय आस्रव है। प्रत्याख्यान द्वारा घ्राणेन्द्रिय को वश में करना, गंधों में राग-द्वेष न करना घ्राणेन्द्रिय संवर है। (१४) रसनेन्द्रिय संवर (गा० ११) : . यह रसनेन्द्रिय आस्रव का प्रतिपक्षी है। सुस्वाद-कुस्वाद में राग-द्वेष करना
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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