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________________ १०२ नव पदार्थ (१०) परमाणु पुद्गल एक वर्ण, एक गंध, एक रस और दो स्पर्श मुक्त होता है। उसमें काले, नीले, लाल, पीले या धवल-इन वर्गों में से कोई भी एक वर्ण होता है। सुगंध या दुर्गन्ध में से कोई भी एक गंध होती है। कटुक, तीक्ष्ण, कसैला, खट्टा, मीठा-इन रसों में से कोई एक रस होता है। वह दो स्पर्शवाला-या तो शीत ओर स्निग्ध, या शीत और रूक्ष, या उष्ण और स्निग्ध, या उष्ण और रूक्ष होता है। कुन्दकुन्दाचार्य परमाणु के सम्बन्ध में लिखते हैं : ___ “वह सर्व स्कंधों का अंत्य है-उनका अन्तिम विभाग या कारण है। वह शाश्वत, एक अविभागी और मूर्त होता है। वह पुथ्वी, जल, अग्नि और वायु-इन चार धातुओं का कारण है। परिणामी है। स्वयं अशब्द होते हुए भी शब्द की उत्पत्ति का कारण है। वह नित्य है। वह सावकाश और अनवकाश है। वह जैसे स्कंध के भेद का कारण है वैसे ही स्कंध का कर्ता भी है। वह काल-संख्या का निरूपक और प्रदेश-संख्या का हेतु है। एक रस, एक वर्ण, एक गंध और दो स्पर्शवाला है। ऐसा जो पुदगल-स्कंध से विभक्त द्रव्य है उसे परमाणु जानो। परमाणु कारण रूप है कार्य रूप नहीं, अतः वह अंत्य द्रव्य है। उसकी उत्पत्ति में दो द्रव्यों के संघात की संभावना नहीं, अतः वह नित्य है क्योंकि उसका विच्छेद नहीं हो सकता। शब्द पुद्गल का लक्षण-गुण नहीं है अतः वह परमाणु का भी गुण नहीं । इसलिए परमाणु अशब्द है। पर स्वयं अशब्द होते हुए भी वह शब्द का कारण कहा गया है। इसका हेतु यह है : “शब्द स्कंधों के संघर्ष से उत्पन्न होता है और स्कंध बिना परमाणु के हो नहीं सकते। अतः परमाणु ही शब्द के कारण ठहरे। १. भगवती १८.७ २. पञ्चास्तिाकाय १.७७, ७८, ८०, ८१ ३. कारणमेव तदन्त्यं सूक्ष्मो नित्यश्च भवति परमाणुः। एकरस वर्ण-गन्धो द्विस्पर्शः कालिङ्गश्च ।। ४. पंचास्तिकाय : १.७६ : सद्दो खंधप्पभवो खंधो परमाणुसंगसंघादो। पुढेसु तेसु जायदि सद्दो उप्पादगो णियदो।।
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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