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________________ १०० नव पदार्थ (२) परमाणु पुद्गल का विभक्त अविभागी अंश है और प्रदेश अविभक्त अविभागी अंश : पुद्गल के प्रदेश और परमाणु में जो अन्तर है वह पूर्व विवेचन से स्पष्ट है। परमाणु स्वतंत्र और अकेला होता है। वह दूसरे परमाणु या स्कंध के साथ जुड़ा हुआ नहीं होता। जबकि प्रदेश पुद्गल से आबद्ध होता है-स्वतंत्र नहीं होता। प्रदेश और परमाणु दोनों अविभागी सूक्ष्मतम अंश हैं यह उनकी समानता है। एक सम्बद्ध है और दूसरा असम्बद्ध-स्वतंत्र-यह दोनों का अन्तर है। आकाश, धर्म, अधर्म और जीव के प्रदेश तथा पुद्गलास्तिकाय के प्रदेशों में भी एक अन्तर है। दोनों माप में बराबर होते हैं अतः दोनों में परिमाण का अन्तर नहीं। पर आकाशादि विस्तीर्ण खण्ड द्रव्य होने से अंशीभूत स्कंध से उनके प्रदेश अलग नहीं किये जा सकते जबकि पुद्गल का प्रदेश अंशीभूत पुद्गल-स्कंध से अलग हो सकता है। अंशीभूत पुद्गल-स्कंध से विच्छिन्न प्रदेश परमाणु है। “परमाणु द्रव्य अबद्ध असमुदाय रूप होता है। स्कन्धबहिर्भूत शुद्धद्रव्यरूप एव'-वह स्कंध से बहिर्भूत शुद्ध पुद्गल द्रव्य (३) प्रदेश और परमाणु तुल्य हैं : प्रदेश और परमाणु दोनों पुद्गल के सूक्ष्मतम अंश हैं इतना ही नहीं वे तुल्य-समान भी हैं | परमाणु पुद्गल आकाश के जितने स्थान को रोकता है उतना ही स्थान पुद्गल-प्रदेश रोकता है। इस तरह समान स्थान को रोकने की.दृष्टि से भी परमाणु और पुद्गल-प्रदेश तुल्य हैं। प्रदेश और परमाणु की यह तुल्यता पुद्गल द्रव्य तक ही सीमित नहीं है। धर्मादि द्रव्यों के प्रदेश भी परमाणु तुल्य हैं क्योंकि धर्मादि के परमाणु के बराबर अंशों को ही प्रदेश कहा गया है, यह पहले बताया जा चुका है। (४) परमाणु अंगुल के असंख्यातवें भाग के बराबर होता है : परमाणु पुद्गल अत्यन्त सूक्ष्म होता है। इसकी अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग जितनी कही गयी है। आगमों में परमाणु की अनेक विशेषताओं का वर्णन मिलता है। उनमें से कुछ का उल्लेख यहाँ किया जाता है। (१) परमाणु-पुद्गल तलवार की धार पर आश्रित हो सकता है पर उससे उसका १. तत्त्वार्थसूत्र (गुज० पं० सुखलालजी) ५.२५ की व्याख्या
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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