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होती है । कुंडलिनी जागृत होने पर बी की नौक की तरह ऊपर को चढ़ती हुई अन्तत: जीवात्मा में प्रवेश करती है और लोकोत्तर चैतन्य उत्पन्न करती है।
प्रश्न ७५ रत्नविज्ञान (रत्न चिकित्सा) Gem Therapy के माध्यम
से महामन्त्र में किस प्रकार उतरा जा सकता है?
उत्तर:
रंग विज्ञान का ही एक अंग रत्न विज्ञान है । रंग से आकृति और आकृति से तादात्म्य होने पर आराध्य परमेष्ठी के गुणों का साक्षात्कार होगा और भक्त की आत्मा में ऊर्जा और निर्मलता आएगी । इस रंग चिकित्सा में इन्द्रधनुष का महत्व सर्वोपरि है, परन्तु इन्द्र धनुष के रंगों को सीधा तो प्राप्त करना संभव नहीं है अत: सूर्य किरण, चन्द्र किरण अथवा रत्नरंग द्वारा यह कार्य किया जा सकता है । अमीप्सित परमेष्ठी के रंग के वस्त्र और मणि धारण कर मन्त्र जाप करना अवश्य ही लाभ दायक होगा । प्रसिद्ध सात रत्नों के नाम, रंग, ग्रह और चक्र इस प्रकार है -
रत्न
वर्ण
ग्रह सूर्य
चक्र मूलाधार
१.
लाल
लाल
नारंगी
चन्द्र
सहस्रार
पीला
पन्ना
मंगल आज्ञा हरा बुध
मणिपुर नीला बृहस्पति: विशुद्ध जामुनी शुक्र स्वाधिष्ठान आसमानी शनि अनाहत
६. हीरा ७. नीलम
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