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________________ णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव 31433 प्रभाव पर हैं । पुण्यास्रव और आराधना कथाकोष के अतिरिक्त अनेक शास्त्रों और पुराणों में भी इस मन्त्र के प्रभाव को कथाओं द्वारा प्रकट किया गया है । मुनि श्री छत्रमल द्वारा रचित 'जैन कथाकोष' में प्रसिद्ध 220 कथाएं संग्रहीत हैं। इनमें अनेक कथाएं णमोकार महामन्त्र की महिमा पर आधारित हैं। इन पौराणिक प्राचीन कथाओं के अतिरिक्त हमारे नित्यप्रति के जीवन में घटित मन्त्रमहिमा की अनुभूतियां तो हमसे बिल्कुल सीधी वात करती हैं। यहां अत्यन्त प्रसिद्ध कतिपय कथाएं संक्षेप में प्रस्तुत अन्तकृतदशा-6 अर्जुन माली मगध देश की राजधानी राजगृही में अपनी पत्नी बन्धुमती सहित अर्जुन नामक एक माली रहता था। नगर के बाहर एक बगीचे में यज्ञमन्दिर था । अर्जुन अपनी पत्नी सहित इस बगीचे के फूल तोड़ता, यक्षपूजा करता और फिर उन्हें बाजार में बेचकर जीविका चलाता था। ___ एक दिन अर्जुन यक्ष की पूजा में लीन था और उसकी पत्नी बाहर पुष्प बीन रही थी। सहसा नगर के छह गुण्डे वहां आ गए। बन्धुमती की सुन्दरता और जवानी पर वे मुग्ध हो गए। बस एकान्त देखकर उसके साथ वलात्कार करने पर तुल गए। अर्जुन को यक्ष की प्रतिमा से बांध दिया और वे वन्धुमती का शील भंग करने लगे। अर्जुन इस अत्याचार से तिलमिला उठा । उसने यक्ष से कहा, हे यक्ष, मैंने तुम्हारी जीवन भर सेवा-पूजा यही फल पाने के लिए की है। मेरी सहायता कर- मुझ शक्ति दे, या फिर ध्वस्त होने के लिए तैयार हो जा। यक्ष का चैतन्य चमक उठा-उसने एक शक्ति के रूप में अर्जुन माली के शरीर में प्रवेश किया, वस, अर्जुन में अपार शक्ति आ गयी। उसने क्रोध में पागल होकर छहों गुण्डों की हत्या की। अपनी पत्नी को भी समाप्त कर दिया। फिर तो उस पर हत्या का भूत ही सवार हो गया। नगर के बाहर वह रहने लगा और जो भी उसे मिलता उसकी वह हत्या कर देता। नगर में आतंक छा गया। नगर के भीतर के लोग
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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