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[यहाँ खड़े हो दोनों हाथ जोड़कर निम्न पाठ पढ़ें]
| उपसंहार सूत्र तस्स धम्मस्स केवलि-पन्नत्तस्स अब्भुट्टिओमि, आराहणाए, विरओमि विराहणाए, सव्वं तिविहेणं, पडिक्कन्तो, वंदामि जिण-चउवीसं। [यहाँ ‘तिक्खुत्तो' से तीन बार गुरु-वन्दना कर 'इच्छामि खमासमणो' दो बार पढ़ें।]
| द्वादशावर्त शुरु-वन्दन सूत्र इच्छामि खमासमणो! वंदिउं, जावणिजाए, निसीहियाए। अणु जाणह मे मिउग्गहं। निसीहि, अहो का यं, का य-संफासं। खमणिजो भे किलामो। अप्पकिलंताणं, बहु-सुभेणं भे दिवसो वइक्वंतो! जत्ता भे! ज व णि जं च भे? खामेमिखमासमणो! देवसियं वइक्कम । आवस्सिआए पडिक्कमामि।
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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