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मिनेम पार्श्व महावीर से,
प्रेम लगावो रे ॥ आनन्द ॥ ३ ॥
गणधर विहरमान जिन सारे,
तिरण तारण गुरु राज मोक्ष की,
घर में मंगल बाहर मंगल,
ठौर दिखावो रे | आनन्द ॥ ४ ॥
जिनराज प्रभु का ध्यान किया,
साल सत्ताणु खण्डप संघ में,
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मेरे विघ्न मिटावोरे,
पुष्कर कहे वीतरागी हुआ से,
अमरापुर पावो रे । आनन्द ।। ५ ।।
मंगल आज मनावो रे ।
धर्म को घणो उमावो रे ।
मोक्ष सिधावो रे | आनन्द ॥ ६ ॥
विहरमान जिन - स्तुति (तर्ज - सिमरूं सिद्ध सदा जयकार ) वंदूं विहरमान जिन बीस |
मेटो जन्म जरा दुःख ईश || टेर ॥
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र