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पाँच महाविदेह क्षेत्रों में बीस विहरमानसीमन्धर-स्वामी, युगमन्दिर-स्वामी, बाहु-स्वामी, सुबाहु-स्वामी, सुजात-स्वामी, स्वयंप्रभ-स्वामी, ऋषभानन-स्वामी, अनन्तवीर्य-स्वामी, सुप्रभ-स्वामी, वज्रधर-स्वामी, विशालधर-स्वामी, चन्द्रानन-स्वामी, चन्द्रबाहु-स्वामी, भुजंग-स्वामी, ईश्वर-स्वामी, नेमप्रभ-स्वामी, वीरसेन-स्वामी, महाप्रभ-स्वामी, देवयश-स्वामी, अजितवीर्य-स्वामी, चौंतीस अतिशय, पैंतीस वाणी के गुणों से विराजमान हैं और एक सौ आठ उत्तम लक्षणों के धारण करने वाले हैं। चौंसठ इन्द्रों के पूजनीय हैं। जघन्य दो करोड़, उत्कृष्ट नव करोड़, सामान्य केवली विदेह क्षेत्रों में विहरते, विचरते हैं। उन महापुरुषों को मैं
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र