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ऐसा नहीं जो धन का लोभी नहीं करता हो।
आज के जीवन में मनुष्य की आवश्यकताएँ, इच्छाएँ, अपेक्षायें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि उनकी पूर्ति के लिए धन की जरूरत पड़ती है, इसलिए मनुष्य धन के लोभ में सब कुछ करने को तैयार हो जाता है । कुछ युवक ऐसे भी हैं, जिनमें एक तरफ धन की लालसा है, भौतिक सुख-सुविधाओं की इच्छा है तो दूसरी तरफ कुछ नीति, धर्म और ईश्वरीय विश्वास भी है । उनके मन में कभी-कभी द्वन्द्व छिड़ जाता है, नीति-अनीति का, न्याय-अन्याय का, धर्म-अधर्म का प्रश्न उनके मन को मथता है, किन्तु आखिर में नीतिनिष्ठा, धर्मभावना दुर्बल हो जाती है । लालसायें जीत जाती हैं । वे अनीति व भ्रष्टाचार के शिकार होकर अपने आप से विद्रोह कर बैठते हैं ।