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भी मजाकिया मूड़ में पूछ लिया-अच्छा तो चोरी करने जा रहे हो ? आज कहां हाथ साफ करोगे ?
मणिशेखर ने निर्भीकता से जबाव दिया-राजमहल की तरफ जा रहा हूँ, वहीं आज अपना करिश्मा दिखाना है।।
राजा को लगा, सचमुच कोई नशेड़ी है, जाने दिया और आगे निकल गया । एक प्रहर बाद घूमते-घूमते राजा की मुलाकत फिर मणिशेखर से हो गई । राजा ने पूछाकौन हो तुम ?
वही श्रेष्ठीपुत्र मणिशेखर !
अच्छा, चोरी करने गये थे ? कुछ बना काम ? कहां चोरी की है ?
राजा के खजाने में ! राजा खूब जोर से हंसा-अच्छा, क्या माल लाये हो ?
मणिशेखर ने बताया-खजाने में पाँच पेटियाँ रखी थीं, उनमें से दो पेटी का माल