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विरला ही रहा होगा । उनकी सत्यनिष्ठा ने ही उनको सर्वत्र विजय, सफलता और सम्मान दिलाया । वे शक्तिशाली ब्रिटिश हुकूमत के सामने झुके नहीं, वायसराय के सामने भी अपनी बात उतनी ही निर्भीकता, स्पष्टता और सच्चाई के साथ रखते थे, जितनी आम आदमी के सामने । उनकी 'सत्यनिष्ठा ने ही उनको महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता का सर्वोच्च आदर और सन्मान दिलाया।
__ जैन कथा साहित्य में मणिशेखर नामक युवक की कथा आती है । बचपन में बुरी संगति के कारण वह चोरी, जूआ आदि बुरी आदतों का शिकार हो गया । मातापिता दुःखी थे, लज्जित थे कि इतने बड़े सेठ का लड़का चोरी करता है, जुआरी कहलाता है, मगर हजार-हजार बार समझाने पर भी उसकी आदतें नहीं छूटी । एक बार किसी तेजस्वी संत ने उसे समझाया तो उसने कहा-चोरी की आदत मैं छोड़ नहीं सकता